मामल्लापुरम में मोदी करेंगे जिनपिंग की अगवानी, इन मुद्दों पर होगी बात

Last Updated 11 Oct 2019 01:45:43 PM IST

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग शुक्रवार को अनौपचारिक शिखर वार्ता के लिए मामल्लापुरम पहुचेंगे तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गर्मजोशी से उनकी अगवानी करेंगे। शिखर वार्ता में दोनों नेता द्विपक्षीय संबंधों में रणनीतिक पुन: संतुलन का प्रयास कर सकते हैं जो कश्मीर मुद्दे पर दोनों पक्षों के कठोर रुख से प्रभावित हुए हैं।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

मोदी और शी शाम को बंगाल की खाड़ी को निहारते सातवीं सदी के शोर मंदिर परिसर में अनौपचारिक परिवेश में वार्ता करेंगे। इस दौरान कोई सहयोगी नहीं होगा और ना ही कोई एजेंडा होगा। इसमें संबंधों के समग्र विस्तार के लिए नया खाका तैयार करने पर ध्यान केंद्रित होगा।     

मोदी आज सुबह तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई पहुंचे और वहां से हेलीकॉप्टर से 50 किलोमीटर दूर मामल्लापुरम रवाना हुए। उन्होंने कामना व्यक्त की कि यह शिखर वार्ता दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेगी।     

मोदी ने अंग्रेजी, तमिल और चीनी भाषा में ट्वीट किया, ‘‘चेन्नई पहुंच गया हूं। मैं तमिलनाडु की महान भूमि पहुंच कर खुश हूं जिसे अपनी अद्भुत संस्कृति और आतिथ्य सत्कार के लिए जाना जाता है।’’     

उन्होंने कहा, ‘‘यह खुशी की बात है कि तमिलनाडु राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मेजबानी करेगा। यह अनौपचारिक शिखर वार्ता भारत और चीन के संबंधों को और मजबूत करे, यही कामना है।’’     

हाल ही में मोदी तमिल भाषा पर बहुत जोर दे रहे हैं जो सितंबर में उनकी अमेरिका यात्रा के दौरान इस भाषा में उनके भाषणों में और इस भाषा के बारे में बात करने से साफ जाहिर हुआ।   

मोदी ने शुक्रवार को चीनी भाषा में भी ट्वीट किया। उन्होंने जिनपिंग के साथ अपनी अनौपचारिक शिखर वार्ता से पहले अपने पूर्वी पड़ोसी देश तक संदेश पहुंचाने का प्रयास किया।   

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्विटर पर कहा कि दोनों नेता विभिन्न विषयों पर विचारों का आदान-प्रदान करेंगे जिनमें कोई एजेंडा की सीमा नहीं होगी।     

मोदी और जिनपिंग की अनौपचारिक शिखर वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब करीब दो महीने पहले ही भारत ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्जे को वापस लेकर राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांट दिया है।      

पाकिस्तान के करीबी सहयोगी चीन ने भारत के इस कदम की आलोचना की और संयुक्त राष्ट्र महासभा में भी इस विषय को उठाया।     

दोनों नेताओं की पहली अनौपचारिक शिखर वार्ता अप्रैल 2018 में चीन के शहर वुहान में हुई थी। इससे कुछ महीने पहले ही दोनों देशों की सेनाओं के बीच डोकलाम में गतिरोध की स्थिति रही थी।     

चीनी राजदूत सुन वीदोंग ने पीटीआई से बातचीत में कहा कि अनौपचारिक शिखर वार्ता से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के विकास की दिशा पर दिशानिर्देशक सिद्धांत समेत नयी आम-सहमतियां उभर सकती हैं।     

सामरिक मामलों के विशेषज्ञ अशोक कंठ के अनुसार शुक्रवार और शनिवार को शिखर वार्ता में विवादास्पद मुद्दों से आगे बढने पर तथा कश्मीर मसले से दोनों देशों के संबंधों पर प्रतिकूल असर नहीं पड़ने देने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।     

चीन के फुजियान प्रांत से मजबूत कारोबारी संबंध रखने वाले मामल्लापुरम शहर को इस आयोजन के लिए सजाया-संवारा गया है तथा सुरक्षा व्यवस्था भी पूरी तरह चाक-चौबंद रखी गयी है। हालांकि इससे स्थानीय लोगों तथा पर्यटकों को थोड़ी असुविधा जरूर हो रही है।     

अधिकारियों के मुताबिक शी जिनपिंग दोपहर दो बजे चेन्नई हवाईअड्डे पर उतरेंगे और एक आलीशान होटल के लिए रवाना हो जाएंगे। शाम पांच बजे मोदी उन्हें मामल्लापुरम के तीन भव्य स्मारकों का दीदार कराने ले जाएंगे जिनमें अर्जुन की तपस्या, पंच रथ और शोर मंदिर हैं। दोनों नेता मंदिर परिसर में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखेंगे।     

मोदी और जिनपिंग शोर मंदिर के लॉन में साथ बैठेंगे और विकास तथा सहयोग का नया खाका तैयार करने पर चर्चा करेंगे। इसके बाद प्रधानमंत्री की ओर से विदेशी मेहमान को शोर मंदिर परिसर में ही निजी रात्रिभोज दिया जाएगा। इस दावत के मेन्यू में कई लजीज परंपरागत व्यंजन शामिल हो सकते हैं।     

अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को दोनों नेता फिशरमैन्स कोव रिसार्ट में आमने-सामने सीधी बातचीत करेंगे जिसके बाद प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता होगी। वार्ता के बाद मोदी दोपहर में जिनपिंग को भोज देंगे और इसके बाद दोपहर करीब 12:45 बजे चीन के राष्ट्रपति चेन्नई हवाईअड्डे के लिए रवाना हो जाएंगे।     

राष्ट्रपति जिनपिंग और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की बातचीत के बाद बुधवार को जारी संयुक्त बयान में कहा गया था कि चीन कश्मीर में हालात पर करीब से नजर रख रहा है और इसका संयुक्त राष्ट्र चार्टर के आधार पर उचित तरीके से एवं शांति से समाधान निकाला जाना चाहिए।     

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि भारत की सतत और स्पष्ट स्थिति रही है कि जम्मू कश्मीर देश का अभिन्न हिस्सा है और चीन इस संबंध में नयी दिल्ली के रुख से भलीभांति वाकिफ है।     

सरकारी सूत्रों ने कहा कि कश्मीर के मुद्दे पर बातचीत का कोई सवाल नहीं उठता क्योंकि यह भारत का संप्रभु मामला है। हालांकि उन्होंने बताया कि इस मामले में यदि कोई प्रश्न उठता है तो मोदी चीनी राष्ट्रपति को जानकारी देंगे।     

सूत्रों ने कहा कि दोनों नेता व्यापार संबंधों के विस्तार के तरीकों पर चर्चा कर सकते हैं।      

उन्होंने कहा कि करीब 3500 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा पर अमन-चैन बनाये रखने के तरीकों, राजनीतिक संबंधों और व्यापार पर वार्ता में ध्यान दिया जा सकता है।

 

भाषा
मामल्लापुरम (तमिलनाडु)


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