स्वाधार गृहों में जरूरतमंद महिलाओं के लिए उचित व्यवस्था नहीं

Last Updated 27 Sep 2019 05:34:16 PM IST

राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) द्वारा महिलाओं के ‘स्वाधार गृहों’ (पुनर्वास केंद्रों) का निरीक्षण करने के दौरान पता चला कि वहां न तो सुरक्षा के सही इंतजाम हैं, न ही साफ सफाई की अच्छी व्यवस्था है और न ही इन महिलाओं के लिए कौशल विकास कार्यक्रम चलाया जाता है।


आयोग ने यह निरीक्षण 35 ‘स्वाधार गृहों’ में किया। दरअसल स्वाधार गृह उन महिलाओं को अस्थायी तौर पर आश्रय देते हैं जिन्हें पुनर्वास के लिए संस्थानिक सहायता की जरूरत होती है।   इन गृहों का मकसद जरूरतमंद महिलाओं के लिए रहने, कपड़े की व्यवस्था, स्वास्थ्य और आर्थिक सहायता के साथ-साथ उन्हें सामाजिक सुरक्षा देना होता है।

आयोग ने कर्नाटक, मध्य प्रदेश, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल के ‘स्वाधार गृहों’ का निरीक्षण किया और अपनी रिपोर्ट महिला एवं बाल विकास मंत्रालय को सौंपी है।  निरीक्षण के दौरान आयोग ने पाया कि सरकार द्वारा तय किए गए दिशा-निर्देशों का पालन इन गृहों में नहीं किया जा रहा है। 

आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा, ‘‘18 साल से कम उम्र की लड़कियों, 60 साल से ज्यादा उम्र की महिलाओं और मानसिक रूप से निशक्त महिलाओं को एक साथ रखा जा रहा है। इनके लिए अलग अलग व्यवस्था नहीं है।’’ 

साथ ही आयोग ने यह भी पाया कि यहां महिलाओं के लिए परामर्श की भी व्यवस्था नहीं है और न ही उन्हें कानूनी सहायता मुहैया कराई जा रही है। उन्हें रोजगार के लिए तैयार करने के उद्देश्य से कोई कौशल प्रशिक्षण भी नहीं दिया जा रहा है। स्वाधार गृहों में साफ-सफाई का भी बेहतर प्रबंध नहीं है और समुचित सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। 

शर्मा ने कहा कि ‘स्वाधार गृह’ योजना पर पुन:विचार करने और इसे फिर से तैयार करने की जरूरत है।  उन्होंने बताया कि ‘स्वाधार गृह’ चला रहे कई गैर सरकारी संगठनों के पते गलत पाए गए। 

 

भाषा
नई दिल्ली


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