‘जेकेएलएफ पर प्रतिबंध जायज’
दिल्ली उच्च न्यायालय के एक न्यायाधिकरण ने यासीन मलिक की अगुवाई वाले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (जेकेएलएफ) पर गैरकानूनी गतिविधियां अधिनियम के तहत प्रतिबंध सही ठहराया है। गृह मंत्रालय ने यह जानकारी दी।
![]() यासीन मलिक (file photo) |
गृह मंत्रालय की एक अधिसूचना में बुधवार रात बताया गया है कि न्यायमूर्ति चंद्र शेखर की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने जेकेएलएफ-मलिक पर प्रतिबंध सही ठहराया है। जेकेएलएफ-मलिक को इस साल 22 मार्च में प्रतिबंधित किया गया था। इस संगठन पर भारतीय संघ के उग्रवाद से प्रभावित राज्य कश्मीर के लिये अलगाववाद को ‘बढ़ावा’ देने का आरोप है। जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में फरवरी महीने में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकवादी हमले में 40 जवान शहीद होने की घटना के इस संगठन को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया। इस संगठन पर प्रतिबंध लगाते हुए केंद्र ने कहा था कि उसका विचार है कि जेकेएलएफ का ‘आतंकवादी संगठनों के साथ करीबी संपर्क है’ और यह जम्मू-कश्मीर तथा अन्य जगह पर आतंकवाद और चरमपंथ को बढ़ावा दे रहा है।
जेकेएलएफ-यासिन को प्रतिबंधित करने के अपने फैसले पर केंद्र ने हत्या, अपहरण, बमबारी और उगाही की 101 ¨हसक घटनाओं का हवाला दिया था। इसमें श्रीनगर के बाहरी क्षेत्र में 25 जनवरी, 1990 को भारतीय वायु सेना के चार कर्मियों की हत्या और 10 को गंभीर रूप से घायल करने का मामला भी शामिल है। इसके अलावा 1989 में तत्कालीन गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी रूबिया सईद को अगवा करने में संलिप्तता का आरोप है। तत्कालीन मुख्यमंत्री की बेटी को छोड़ने के बदले चार आतंकवादियों को रिहा करने की मांग की गई थी। जेकेएलएफ जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गतिविधियों में आगे रहा है और वह 1989 में घाटी में कश्मीरी पंडितों की हत्याओं में शामिल था।
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