2050 तक ‘नीले पानी’ को तरस जाएंगे कई देश
तमाम कारणों से बंजर होती जमीन और जलवायु परिवर्तन का सबसे बुरा असर नदियों, भूमिगत और बारिश के पानी पड़ रहा है। 2050 तक घनी आबादी वाले देशों में ‘नीला पानी’ उपलब्ध नहीं होगा।
2050 तक ‘नीले पानी’ को तरस जाएंगे कई देश |
इन देशों को रीसाइकिल यानी पुन: उपयोग लायक बनाए गए पानी पर निर्भर रहना पड़ेगा। इन देशों में भारत, पाक, अरब देश, उत्तरी व दक्षिणी अफ्रीका, पूरा आस्ट्रेलिया व संयुक्त राज्य अमेरिका का पश्चिमी क्षेत्र शामिल हैं।
राजधानी से सटे ग्रेटर नोएडा में दो सितम्बर से चल रहे मरुस्थलीकरण रोधी सम्मेलन (यूएनसीसीडी) सीओपी-14 में मरुस्थलीकरण को रोकने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने के लिए 196 देशों के आठ हजार से अधिक प्रतिनिधि माथापच्ची कर रहे हैं। बैठक में प्रस्तुत रिपोर्ट्स परेशान करने वाले हैं। सभी रिपोटरे में चेतावनी दी गई है कि इंसान अपने रहन-सहन, खान-पान व जीवन शैली में बदलाव करे और लोभ लालच छोड़ दें, नहीं तो 2050 तक ऐसी परिस्थितियां खड़ी हो जाएंगी कि सब कुछ धरा का धरा रह जाएगा। उदाहरण के लिए मांसाहारियों को अपना भोजन बदलना होगा, क्योंकि मवेशियों को पालने से लेकर उसे खाने लायक बनाने पर कई गुना पानी और जमीन चाहिए।
इसी तरह से गन्ना, धान, सोयाबीन जैसी ज्यादा पानी में पैदा होने वाली फसलों की जगह कम पानी के इस्तेमाल से पैदा होने वाली फसलों की तरफ जाना होगा। रिपोर्ट के मुताबिक, भूक्षरण एवं मरुस्थलीकरण लोगों की आजीविका को बुरी तरह प्रभावित करता है। इस समस्या से 1.3 से 3.2 अरब ऐसे लोग प्रभावित हैं, जो विकासशील देशों में गरीबी में जीवनयापन कर रहे हैं। सबसे बड़ी समस्या पानी की आने वाली है। संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार, 2050 तक यूरोप, उत्तरी अमेरिका, रूस, जापान और चीन के एक भूभाग को छोड़कर बाकी भूभाग में नीला पानी नहीं बचेगा। नीला पानी यानी नदियों और भूमिगत जल की मात्रा न के बराबर हो जाएगी। बहुत से देशों को हरित जल यानी वष्रा जल पर निर्भर रहना होगा और ऊष्णकटिबंधीय देशों को पुन: उपयोग (रीसाइकिल) वाले पानी यानी ग्रे वाटर पर निर्भर रहना होगा। इसी पानी को पीने और सिंचाई योग्य बनाना होगा। ऊष्ण कटिबंधीय देशों में ही सबसे अधिक आबादी निवास करती है और यहीं दुनिया की बड़ी-बड़ी नदियां बहती हैं।
सम्मेलन का समापन 13 सितम्बर को होगा। इसमें एक घोषणा पत्र जारी किया जाएगा। प्रकाश जावड़ेकर ने मंगलवार को घोषणा पत्र का प्रारूप प्रस्तुत किया।
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