कश्मीर के हालात के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू जिम्मेदार: मायावती

Last Updated 28 Aug 2019 03:29:07 PM IST

बसपा अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना राष्ट्र हित में है और घाटी में हालात सामान्य होने तक विपक्षी दलों संयम से काम लेने की जरूरत है।


बसपा अध्यक्ष मायावती (फाइल फोटो)

कांग्रेस और पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को कश्मीर समस्या का सूत्रधार बताते हुये बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती ने बुधवार को कहा कि अनुच्छेद 370 को हटाया जाना राष्ट्र हित में है और घाटी में हालात सामान्य होने तक विपक्षी दलों संयम से काम लेने की जरूरत है।
     
बसपा के प्रदेश मुख्यालय में आयोजित केन्द्रीय कार्यकारिणी और पदाधिकारियों की बैठक में मायावती को एक बार फिर पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया। इस मौके पर मायावती ने कहा कि बसपा मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने के लिए वे हर प्रकार की कुर्बानी देने को तैयार रहती हैं तथा पार्टी एवं मूवमेन्ट के हित में न तो वे कभी रुकने वाली हैं और न ही झुकने वाली हैं, टूटना तो बहुत दूर की बात है।
    
जम्मू-कश्मीर से धारा 370 का विशेष दर्जा समाप्त किए जाने को लेकर मायावती ने कहा कि डॉ अम्बेडकर हमेशा ही देश की समानता, एकता व अखण्डता आदि के पक्षधर रहे हैं और इसी आधार पर वे जम्मू-कश्मीर में अलग से धारा 370 का प्रावधान करने के कतई भी पक्ष में नहीं थे। इसी वजह से ही बसपा ने संसद में इस धारा को हटाये जाने का समर्थन किया है।
    
उन्होने कहा कि वास्तव में वैसे इस समस्या की मूल जड़ कांग्रेस और पंडित नेहरू ही हैं। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर से अलग करके लद्दाख क्षेत्र को अलग केन्द्र शासित प्रदेश बनाए जाने का भी हमारी पार्टी स्वागत करती है। इससे लेह-लद्दाख क्षेत्र के बौद्ध समुदाय की सालों पुरानी माँग पूरी हुई है और वे इससे बहुत प्रसन्न हैं। अब उनकी अपनी माँग के मुताबिक केन्द्र सरकार को उनकी विशिष्ट पहचान, उनकी संस्कृति व उनके क्षेत्र के आपेक्षित विकास आदि पर खास ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
    
देश में संविधान लागू होने के लगभग 70 वर्षों के उपरान्त इस धारा 370 की समाप्ति के बाद, वहाँ पर हालात सामान्य होने में थोड़ा समय तो लगेगा। इसलिए इसका इन्तजार किया जाये, तो यह बेहतर ही होगा, जिसको न्यायालय ने भी माना है। ऐसे में हाल ही में बिना अनुमति के कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेताओं का कश्मीर जाना क्या केन्द्र व वहाँ के गवर्नर को राजनीति करने का मौका देने जैसा कदम नहीं है। अगर इनके जाने पर कश्मीर में थोड़े भी हालात बिगड़ जाते, तो फिर क्या केन्द्र की सरकार इसका दोष इन पार्टियों पर नहीं थोप देती।

बसपा अध्यक्ष ने कहा कि धारा 370 की समाप्ति आदि का काम अगर कांग्रेस पार्टी ने अपने लम्बे शासनकाल में पहले ही कर लिया होता तो आज जम्मू-कश्मीर में हालात बेहतर होते तथा बीजेपी को भी इसकी आड़ में राजनीति करने का मौका नहीं मिलता। वैसे भी कांग्रेस पार्टी का ऐसा ही उदासीन और गैर-सकारात्मक रवैया गरीबों, दलितों, आदिवासियों, अन्य पिछड़ों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों में से खासकर मुस्लिम, सिख, ईसाई, बौद्ध आदि के प्रति भी रहा है, जिस कारण इनके सामाजिक और आर्थिक हालात आादी के इतने दशकों के बाद अभी भी काफी ज्यादा खराब बने हुए हैं।
       
मायावती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी व इनकी सरकारों में खासकर 'बहुजन समाज’ की इतनी ज्यादा उपेक्षा हुई है कि जिसको भुला पाना मुश्किल ही नहीं बल्कि असम्भव है। बाबा साहेब डा. अम्बेडकर को आपेक्षित सम्मान देने के क्रम में इन्होंने उन्हें ना तो पहले संसद में चुनकर जाने दिया और ना ही उनके मरणोपरान्त उनको ’’भारतरत्न’’ की उपाधि से सम्मानित किया।
     
कांग्रेस ने एससी व एसटी वर्ग को भी ईमानदारी के साथ आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया तथा संविधान की धारा 340 के हिसाब से अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) को सरकारी नौकरियों व शिक्षा आदि के क्षेत्र में आरक्षण की सुविधा आजादी के लगभग 43 वर्षों तक नहीं दी गयी। बहुजन नायक कांशीराम जी की मृत्यु पर एक दिन का भी ’राष्ट्रीय शोक’ घोषित किया गया। साथ ही, खासकर मुस्लिम समाज आदि के प्रति भी कांग्रेस पार्टी की उपेक्षा, जुल्म-ज्यादती, भीषण दंगे व तिरस्कार आदि को भी कभी कैसे भुलाया जा सकता है, जिसका खुलासा जस्टिस (अवकाशप्राप्त) राजिन्दर सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में भी साफ तौर पर किया गया है।
       
उन्होने कहा कि लेकिन चाहे दलित समाज हो या आदिवासी समाज व ओ.बी.सी. वर्ग हो या मुस्लिम समाज या फिर अपरकास्ट समाज के करोड़ों गरीब एवं उपेक्षित लोग हो, इन सबकी सुधि बीएसपी ने ही यूपी में बनी अपनी चार बार की सरकारों में ही ली है और इनके हित व कल्याण के लिए ’’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’’ की नीति पर मजबूती के साथ सरकार चलाई है, जो आज भी एक बेहतरीन मिसाल है।



हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखण्ड और दिल्ली विधानसभा के लिए होने वाले आमचुनाव का उल्लेख करते हुए बसपा अध्यक्ष ने कहा कि इन राज्यों में पार्टी को पूरी मजबूती के साथ चुनाव लड़ना है। बी.एस.पी. को खासकर सत्ताधारी बीजेपी एवं कांग्रेस दोनों के खिलाफ इन चुनावों में लड़ना है और पहले बैलेन्स आफ पावर बनकर आगे बढ़ना है।
       
उन्होने कहा कि वैसे भी सत्ता की मास्टर चाबी अपने हाथों में लिए बिना हमारे लोगों का हित व कल्याण संभव ही नहीं है। इसके साथ-साथ उत्तर प्रदेश में कुछ सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव में भी  बी.एस.पी को अपना अच्छा रिजल्ट लाना है।

मायावती ने कहा कि मूवमेन्ट आज माबूत होकर इतना तेजी से आगे बढ़ रहा है कि इसको अब विरोधियों के कोई भी साम, दाम, दण्ड, भेद आदि हथकण्डों से भटकाया या तोड़ा नहीं जा सकता है। खासकर ’बहुजन समाज’ व अपरकास्ट समाज के गरीबों के बल पर ही बीएसपी हमेशा ’’सर्वजन हिताय व सर्वजन सुखाय’’ के सिद्धान्त व लक्ष्य की प्राप्ति पर लगातार अग्रसर रहेगी।

 

वार्ता
लखनऊ


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