तीसरी शादी के चक्कर में 'डोसा किंग' बना हत्यारा, जानें पूरी कहानी

Last Updated 19 Jul 2019 01:21:34 PM IST

देश और विदेशों में लोकप्रिय रेस्तरां श्रंखला सरवना भवन के संस्थापक और 'डोसा किंग' के नाम से मशहूर पी. राजगोपाल का गुरुवार को पुलिस हिरासत में चेन्नई के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया।


पी. राजगोपाल (फाइल फोटो)

अपने कर्मचारी प्रिंस शांताकुमार की हत्या के लिए आजीवन कारावास की सजा पा चुके 73 वर्षीय राजगोपाल ने 9 जुलाई को सर्वोच्च अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण के लिए और थोड़े समय की मांग की थी, जिसके खारिज होने के बाद उन्होंने अदालत में आत्मसमर्पण किया था।

जेल भेजे जाने वाले दिन ही उन्होंने चक्कर आने की शिकायत की, जिसके बाद उनको सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बाद में मद्रास उच्च न्यायालय के आदेश पर यहां एक निजी अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया था।

राजगोपाल के मामले ने देश-विदेश का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया था।

राजगोपाल कथित तौर पर एक ज्योतिषी की सलाह पर एक महिला से शादी करना चाहते थे।

उस समय, राजगोपाल की दो पत्नियां थीं और युवती ने उनसे शादी से इनकार कर दिया था। युवती ने 1999 में शांताकुमार से शादी की। अभियोजन पक्ष ने अदालत को बताया कि राजगोपाल ने 2001 में दंपति को धमकी दी थी और उनसे शादी खत्म करने को कहा था। दंपति ने इसकी शिकायत पुलिस में की। इसके कुछ दिन बाद ही शांताकुमार का अपहरण कर लिया गया और उसे मार दिया गया। उसका शव जंगल में मिला था।

राजगोपाल को एक सत्र अदालत ने शांताकुमार की हत्या के आरोप में 10 साल की जेल की सजा सुनाई थी।

उन्होंने मद्रास उच्च न्यायालय में अपील की थी, लेकिन न्यायालय ने सजा को बढ़ाकर उम्रकैद कर दिया। मार्च में सर्वोच्च अदालत ने आरोप साबित होने पर सजा को बरकरार रखते  हुए उसे 7 जुलाई को आत्मसमर्पण करने को कहा गया।

हालांकि राजगोपाल ने अपनी बीमारी का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण की तारीख को आगे बढ़ाने के लिए सर्वोच्च न्यायालय से अपील की थी, जिसे खारिज कर दिया गया।

9 जुलाई को राजगोपाल ने एक स्थानीय अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण किया। वह यहां ऑक्सीजन मास्क के साथ एक एम्बुलेंस में आया और व्हीलचेयर में न्यायाधीश के सामने पेश हुआ। 

राजगोपाल ने यह भी मांग की थी कि उन्हें जेल भेजे जाने से छूट दी जाए और उनके अस्पताल में भर्ती होने को जेल की सजा समझा जाए, जिससे अदालत सहमत नहीं हुई। इसके तुरन्त बाद ही उन्हें सरकारी अस्पताल के ‘दोषी वार्ड’ में भर्ती कराया गया था।     

राजगोपाल के बेटे की अपील के बाद उच्च न्यायालय ने उन्हें सरकारी ‘स्टेनली मेडिकल कॉलेज अस्पताल’ से एक निजी अस्पताल में भर्ती कराने का आदेश दिया था। उनके बेटे ने कहा था कि उनके पिता की हालत बिगड़ती जा रही है।

आईएएनएस/भाषा
चेन्नई


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment