भारत और चीन सीमा पर शांति के लिए प्रतिबद्ध: राजनाथ सिंह
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बुधवार को देश को ना केवल भारत चीन सीमा बल्कि समूची अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा को लेकर आश्वस्त किया और कहा कि दोनों देश सीमा पर शांति और स्थिरता बनाये रखने के लिए वर्तमान समझौतों का अनुपालन कर रहे हैं।
![]() रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह |
लोकसभा में शून्यकाल में कांग्रेस के नेता अधीररंजन चौधरी द्वारा भारत चीन सीमा पर छह जुलाई को लद्दाख के डेमचोक क्षेत्र में हुई घटना का उल्लेख किये जाने पर रक्षा मंत्री ने हस्तक्षेप किया। सिंह ने चौधरी द्वारा इस मुद्दे को उठाने पर हैरानी जाहिर की। इस बीच बीजू जनता दल के नेता भर्तृहरि मेहताब ने जोर देकर कहा कि समूचे सदन को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों और राजनयिक मुहिम का पूर्ण रूप से समर्थन करना चाहिए और सदस्यों को एक सुर में बात कहनी चाहिए।
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और चीन के बीच सीमा पर आमतौर पर शांति का माहौल है लेकिन कभी-कभी स्थानीय स्तर पर वास्तविक नियंत्रण रेखा को लेकर धारणाओं में भिन्नता होने के कारण अप्रिय स्थितियां बन जातीं हैं।
उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच मतभेदों को सुलझाने के लिए औपचारिक प्रणालियां बनायीं गयीं हैं और दोनों देश इन प्रणालियों का सम्मान करते हैं ताकि सीमा पर शांति और स्थिरता कायम रहे।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच गत वर्ष वुहान में हुई अनौपचारिक शिखर बैठक का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इस बैठक के दौरान भी दोनों पक्ष सीमा पर शांति और स्थिरता बनाये रखने की आवश्यकता को रेखांकित किया था। दोनों देशों ने बाद में अपनी अपनी सेनाओं के लिए सामरिक दिशानिर्देश भी जारी किये थे।
उन्होंने कहा कि वह सदन को स्पष्टता से आश्वासन देना चाहते हैं कि सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर पूरी तरह से संवेदनशील है। उन्होंने कहा कि भारत चीन सीमा के पास सड़कें, सुरंगें, रेलवे लाइनें और हवाईपट्टियां विकसित की जा रहीं हैं जिससे देश की सुरक्षा और संप्रभुता सुनिश्चित की जा सके। रक्षा मंत्री ने चौधरी से कहा कि उन्होंने डेमचोक का नाम लिये बिना ही सारे विषय को स्पष्ट कर दिया है।
रक्षा मंत्री के बाद बीजद के नेता मेहताब ने कहा कि चीन के राष्ट्रपति 12-13 अक्टूबर को वाराणसी में मोदी के साथ अनौपचारिक बैठक के लिए आ रहे हैं। इससे पहले मोदी अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र महासभा के अधिवेशन में भाग लेने जाएंगे तो वहां उनकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से भी बात होगी।
उन्होंने कहा कि सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का पहला बहुपक्षीय संवाद जी-20 बैठक रहा है। मोदी ने दो त्रिपक्षीय बैठकों (एक जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और ट्रंप और जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे के साथ) में भाग लिया।
उन्होंने कहा कि इन बैठकों से और ब्रिक्स से यह साफ है कि हमारे हितों के बीच समानता है। हम संरक्षणवादी और एकतरफा ढंग से काम करने के विरुद्ध हैं और हम मुद्दा आधारित गठबंधन के हक में हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘देश की विदेश नीति को लेकर राजनीतिक क्षेत्र में एकजुटता होनी चाहिए। इसलिए मैं सदन से अपील करता हूं कि हमारे प्रधानमंत्री के इस संबंध में प्रयासों को पूर्ण समर्थन दें और हमें एक सुर में बात करनी चाहिए।’’
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