सतत विकास लक्ष्य : न विजन दस्तावेज, न पैसे की व्यवस्था
लोगों के जीवन में खुशहाली और संपन्नता लाने तथा उनका जीवन स्तर बेहतर बनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा तय सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) के प्रभाव में आने के चार साल बाद भी देश में इसके लिए न तो विजन दस्तावेज तैयार हो पाया है और न ही पैसे की व्यवस्था की गई है।
सतत विकास लक्ष्य : न विजन दस्तावेज, न पैसे की व्यवस्था |
संयुक्त राष्ट्र ने सभी देशों की सहमति से सतत विकास लक्ष्य 2015 में तय किए थे, जिन्हें 2030 तक हासिल किया जाना है। इसमें 17 बड़े लक्ष्य हैं तथा हर लक्ष्य के अंदर कई छोटे-छोटे लक्ष्य हैं।
निरीक्षक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने केंद्र सरकार के साथ सात राज्यों - असम, छत्तीसगढ़, हरियाणा, केरल, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल- में एसडीजी को लेकर हुई प्रगति की समीक्षा की। संसद में पिछले सप्ताह पेश कैग की रिपोर्ट में कहा गया,‘‘सरकार ने केंद्र तथा राज्य के स्तरों पर कई कदम उठाए हैं।
हर क्षेत्र में कई ऐसे पहलू हैं, जिन पर ध्यान देने के साथ ही सुधारात्मक उपायों की जरूरत है। केंद्र तथा राज्यों के स्तर पर एसडीजी को लेकर नीतिगत दस्तावेज तैयार करने का काम अब भी पूरा नहीं हो सका है। संयुक्त राष्ट्र के एसडीजी लक्ष्यों के अनुरूप 2020, 2025 और 2030 के लिए पूर्व परिभाषित लक्ष्यों को रोडमैप तैयार करने का काम अभी बाकी है।’’
17 बड़े लक्ष्य
गरीबी समाप्त करना, कोई भूखा न सोए, अच्छा स्वास्थ्य एवं आरोग्य, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, लैंगिक समानता, साफ पानी एवं स्वच्छता, सस्ती एवं स्वच्छ ऊर्जा, सम्मानपूर्ण रोजगार एवं आर्थिक विकास, औद्योगिक नवाचार एवं बुनियादी ढांचा, असमानता में कमी, स्थायित्व वाले शहर एवं समुदाय, जवाबदेह उपभोग एवं उत्पादन, जलवायु के लिए काम, पानी के भीतर जीवन, जमीन पर जीवन, शांति, न्याय एवं सशक्त संस्थान और इन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए सहभागिता
| Tweet |