आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के तीन लाख पदों को शीघ्र भरा जायेगा : निशंक

Last Updated 19 Jun 2019 09:20:35 PM IST

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ ने कहा है कि केन्द्रीय विश्वविद्यालयों में रिक्त सात हजार पदों के अलावा देश भर के राज्यों के कॉलेजों में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के कोटे से आरक्षित तीन लाख पदों को जल्द ही भरा जायेगा।


मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’

डॉ. निशंक ने बुधवार की शाम पत्रकारों से कहा कि मंत्रालय का काम संभालने की बाद उनकी करीब 28 संस्थाओं के प्रमुखों से बैठक हो चुकी है जिनमें विश्वविद्यालय अनुदान आयोग से लेकर आई आई टी, एन आई टी के अलावा आई आई एम और केन्द्रीय विद्यालय संगठन तथा केंन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड जैसे संस्थान भी शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि संविधान में संशोधन करके 10 प्रतिशत आरक्षण आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए किया गया है। इस कोटे से आरक्षित देश भर के कॉलेजों में करीब तीन लाख पद रक्त हैं। उनकी भर्ती जल्द ही की जायेगी और इसके लिए 717 से करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।

उन्होंने नयी शिक्षा नीति की चर्चा करते हुए कहा कि देश भर में नयी शिक्षा नीति के प्रारूप का स्वागत हो रहा है और राज्यों से सुझाव आ रहे हैं। वर्ष 1986 के बाद देश में नयी शिक्षा नीति बन रही है। लोग इसे जल्दी लागू करने की मांग कर रहे हैं लेकिन कुछ लोग बिना पढ़े ही इसकी आलोचना कर रहे हैं।

डॉ. निशंक ने कहा कि शिक्षा राष्ट्र की नींव है और उसके विकास से ही नए भारत का निर्माण हो सकेगा। उन्होंने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में संवेदना और सृजन  को महत्त्व देना उनकी प्राथमिकता रहेगी क्योंकि वह खुद एक लेखक हैं और संवेदना के महत्व को समझते हैं।

उन्होंने कहा कि वह सकारात्मक सुझाओं का हमेशा स्वागत करेंगे क्योंकि उनका मनना है कि सकारात्मक दृष्टिकोण से विकास किया जा सकता है क्योंकि  सकारात्मकता से सृजन होता है जबकि नकारात्मकता से विध्वंस होता है।
 


उन्होंने एक पत्रकार और शिक्षक के रूप में अपने जीवन की शुरुआत करने का जिक्र करते हुए कहा कि वह कड़े संघर्ष के बाद इस पद तक पहुंचे हैं इसलिए शिक्षा को संवेदनशील बनाये जाने के पक्षधर हैं।

उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि राजनीति से अधिक महत्वपूर्ण उनके लिए उनका लेखन रहा है और वह अपने लेखन को जारी रखेंगे।

गौरतलब है कि डॉ. निशंक की अनेक पुस्तकें छप चुकी हैं। तत्कालीन राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा से लेकर डॉ. अब्दुल कलाम आदि को उन्होंने अपनी पुस्तकें भेंट की हैं और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने उनकी किताबों का लोकार्पण किया है। देश-विदेश में उन्हें अनेक सम्मन प्राप्त हुए हैं।

वार्ता
नयी दिल्ली


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