तीन तलाक बिल को मंजूरी

Last Updated 13 Jun 2019 05:29:51 AM IST

कैबिनेट ने एक बार में तीन तलाक (तलाक ए बिद्दत) की परंपरा पर पाबंदी लगाने वाले नए विधेयक और शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण व्यवस्था लागू करने के लिए विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी है।


तीन तलाक बिल को मंजूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई सरकार की दूसरी कैबिनेट की बैठक में महत्वपूर्ण फैसले लिए गए। बैठक के बाद केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि कैबिनेट ने तीन तलाक रोकने के लिए जारी अध्यादेश को कानून बनाने के लिए प्रस्तावित विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दे दी। यह विधेयक आगामी बजट सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने उम्मीद जताई कि विपक्ष राज्यसभा से इस विधेयक को पारित करने में मदद करेगा।

सरकार दो बार तीन तलाक पर अध्यादेश लागू कर चुकी है। मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अध्यादेश 2019 के तहत एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और शून्य रहेगा और ऐसा करने वाले पति के लिए तीन साल के कारावास का प्रावधान रहेगा। सितम्बर 2018 में लागू पिछले अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए पेश विधेयक को दिसम्बर में लोकसभा ने तो मंजूरी दे दी थी, लेकिन यह राज्यसभा में लंबित था।

ओबीसी समिति का कार्यकाल दो माह बढ़ा : कैबिनेट ने अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) की केंद्रीय सूची में उप श्रेणी बनाने के लिए गठित समिति का कार्यकाल और दो महीने बढ़ाने को मंजूरी दे दी है। ओबीसी की केंद्रीय सूची में उप श्रेणी बनाने की समिति का कार्यकाल 31 जुलाई तक पूर्व प्रभाव से बढ़ा दिया गया है। समिति का कार्यकाल 31 मई को समाप्त हो गया था। समिति का कार्यकाल छठीं बार बढ़ाया गया है।

सार्वजनिक संपत्ति पर कब्जा हटाने के लिए विधेयक : मंत्रिमंडल की बृहस्पतिवार को यहां हुई बैठक में सार्वजनिक स्थल (अवैध कब्जा बेदखल) संशोधन विधेयक 2019 को मंजूरी दी गई। अवैध कब्जा खाली कराने वाले इस संशोधन विधेयक के पारित होने के बाद सरकारी भवनों पर कब्जा हटाने का काम आसान हो जाएग।

आधार संशोधन विधेयक को  मंजूरी : मंत्रिमंडल ने बैंक खाता खोलने तथा मोबाइल फोन कनेक्शन लेने के लिए आधार के स्वैच्छिक उपयोग की अनुमति देने को लेकर बुधवार को एक संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी। इस संशोधन के बाद यदि किसी अन्य कानून की बाध्यता न हो तो किसी व्यक्ति को अपनी पहचान साबित करने के लिए आधार नम्बर प्रस्तुत करने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकेगा।

शैक्षणिक संस्थानों में आरक्षण के लिए आएगा विधेयक
केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों की भर्ती में आरक्षण के लिए दो सौ अंक वाली रोस्टर प्रणाली लागू करने के लिए संसद के आगामी सत्र में विधेयक लाने का फैसला किया है। जावड़ेकर ने बताया कि इस विधेयक का उद्देश्य उच्च शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों के पदों पर नियुक्ति में आरक्षण के लिए फिर से 200 अंकों की रोस्टर प्रणाली लागू करना है। उन्होंने कहा कि इससे विभिन्न संस्थानों में अध्यापकों के खाली पड़े सात हजार पदों पर सीधी भर्ती की जा सकेगी।

जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय शैक्षणिक संस्थान (शिक्षक कैडर में आरक्षण), विधेयक, 2019 में विश्वविद्यालय या कॉलेज को एक इकाई माना जाएगा तथा अब विभाग या विषय को इकाई नहीं माना जाएगा। नया नियम प्रभाव में आने के बाद आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के लोगों को हाल ही में उनके लिए लागू किए गए 10 प्रतिशत आरक्षण का लाभ भी मिल सकेगा।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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