उच्च न्यायालय ने हिंदू चरमपंथी टिप्पणी पर कमल हासन को फटकारा

Last Updated 20 May 2019 08:16:26 PM IST

मद्रास उच्च न्यायालय ने अभिनेता-राजनीतिक कमल हासन को उनकी हिंदू चरमपंथी टिप्पणी को लेकर सोमवार को फटकार लगाई और कहा कि एक अपराधी की पहचान उसके धर्म, जाति या नस्ल से करना निश्चित तौर पर लोगों के बीच घृणा के बीज बोना है।


अभिनेता-राजनीतिक कमल हासन

मदुरै पीठ के न्यायमूर्ति आर पुगलेंधी ने एक हालिया चुनावी रैली में अभिनेता-राजनीतिक कमल हासन की तरफ से की गई विवादित टिप्प्णी को लेकर दर्ज मामले में उन्हें अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि घृणा भरे भाषण देना आज कल आम हो गया है।     

मक्कल नीधि मय्यम (एमएनएम) के संस्थापक हासन को अरावाकुरीचि में की गई उनकी टिप्पणी को लेकर दर्ज मामले में गिरफ्तार किए जाने की आशंका थी। उन्होंने कहा था कि स्वतंत्र भारत का पहला चरमपंथी एक हिंदू था। उन्होंने महात्मा गांधी की गोली मार कर हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे के संदर्भ में यह बात कही थी।      

यह मामला हिंदू मुन्नानी की शिकायत पर दर्ज किया गया है।      

हासन की टिप्पणी ने विवाद खड़ा कर दिया था और भाजपा, राज्य में सत्तारूढ अन्नाद्रमुक तथा हिंदू संगठनों ने उनकी आलोचना की थी। उनके खिलाफ तमिलनाडु एवं नयी दिल्ली में मामले दर्ज किये गये।      

न्यायाधीश ने प्रचार भाषण में इस मुद्दे को उठाए जाने पर हासन की गलती की ओर इशारा करते हुए कहा कि एक चिंगारी से रोशनी भी हो सकती है साथ ही पूरा जंगल भी खाक हो सकता है।       

न्यायाधीश ने अपने आदेश में कहा, ‘‘चुनाव सभा में जनता के लिए जरूरी था कि आम लोगों के उत्थान के लिए रचनात्मक समाधान दिए जाएं, न कि घृणा पैदा की जाए।’’      

उन्होंने कहा कि देश पहले से ही सार्वजनिक भाषणों के कारण होने वाली कई घटनाएं झेल चुका है जिसमें बेकसूर लोगों ने बहुत कुछ सहा है।       
न्यायाधीश ने इस बात पर खेद जताया कि याचिकाकर्ता अपने पक्ष पर कायम है कि उन्होंने जो कहा वह ऐतिहासिक घटना के संदर्भ में था।       
न्यायमूर्ति पुगलेंधी ने कहा, ‘‘अगर यह ऐतिहासिक घटना है और यह सही संदर्भ में नहीं कही गई तो यह एक अपराध है।’’      

न्यायाधीश ने कहा, ‘‘भले ही वह कट्टरपंथी, आतंकवादी या चरमपंथी हो, उनको उनके धर्म, नस्ल, जन्मस्थान, निवास और भाषा के आधार पर नहीं परिभाषित किया जाना चाहिए। एक व्यक्ति अपने व्यवहार से अपराधी बनता है और अपने जन्म से नहीं।’’      

न्यायाधीश ने गौर किया कि घृणा भाषण आम हो गए हैं। उन्होंने एक मामले की ओर इशारा किया जिसमें एक महिला ने ऐसे मामले में अदालत से अग्रिम जमानत मांगी जहां उसने भगवान मुरुग की तुलना एक कुत्ते से की थी।       

उन्होंने कहा कि कुछ महीने पहले एक नेता ने भगवान कृष्ण को बलात्कारी कहा था और एक अन्य नेता ने कहा कि तर्कवादी ‘‘पेरियार’’ ई वी रामासामी की प्रतिमाओं को तोड़ दिया जाना चाहिए।       

न्यायाधीश ने इस प्रकार के घृणा भाषणों को महत्त्व देने के लिए और घंटों तक उन पर बहस करने के लिए मीडिया की भी आलोचना की।       

हासन की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश ने कहा कि अदालत को उन्हें जमानत देनी होगी क्योंकि चुनाव प्रक्रिया अब भी लंबित है और वह एक पंजीकृत राजनीतिक दल के नेता हैं।       

न्यायाधीश ने हासन को अरावाकुरीचि में न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत में पेश होने और 10,000 रुपये का मुचलका और इतनी ही जमानत राशि जमा कराने का निर्देश दिया।     

हासन ने अपनी याचिका में कहा कि उनका भाषण केवल गोडसे के संबंध में था और संपूर्णं हिंदू समुदाय के बारे में नहीं।   

   

उनके वकील ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता ने अभिनेता के भाषण से कुछ शब्द उठा लिए जिन्हें सही संदर्भ में समझाया नहीं गया।       

लोक अभियोजक ने दावा किया कि हासन के भाषण ने लोगों के बीच नफरत फैलाई और उनके खिलाफ कुल 76 शिकायत प्राप्त हुईं।

भाषा
मदुरै


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