थोड़े मुनाफे में बड़ा नुकसान नहीं चाहती सपा-बसपा

Last Updated 13 Mar 2019 05:53:07 AM IST

लोकसभा चुनाव में सपा संग गठबंधन कर चुनावी जंग के लिए उतरी बसपा किसी सूरत में कांग्रेस से हाथ मिलाने को तैयार नहीं है। इसके लिए बसपा सुप्रीमो मायावती के हालिया बयान के सियासी मतलब हैं।


सपा संग गठबंधन

अगर सपा-बसपा गठबंधन कांग्रेस से हाथ मिलाते हैं तो उन्हें अपने उत्तर प्रदेश के मजबूत गढ़ में सीटों का बंटवारा कांग्रेस के करना होगा। लिहाजा मामूली लाभ के लिए सपा-बसपा गठबंधन को बड़ा नुकसान उठाना पड़ सकता है।
दरअसल लोकसभा चुनाव के लिए सपा-बसपा गठबंधन ने उत्तर प्रदेश के साथ-साथ अन्य राज्यों में गठबंधन कर चुनाव लड़ने का ऐलान पहले ही कर दिया है। इसके बाद सपा-बसपा ने बिहार, उत्तरांचल, मध्य प्रदेश आदि राज्यो में लोकसभा चुनाव गठबंधन के तौर पर लड़ने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। हांलाकि इस बीच सपा-बसपा गठबंधन की कांग्रेस के साथ सीटें साझा करने की संभावना तलाशी जा रही थी। लेकिन सपा-बसपा की राज्य इकाइयों को कांग्रेस के साथ सीटें साझा करने को लेकर सहमत नहीं दिख रही थीं। लिहाजा बसपा सुप्रीमो मायावती कांग्रेस से दूरी बनाने का रास्ता अख्तियार कर लिया है।

राजनीतिक विश्लेषकों पूरी तौर पर मानना है कि उत्तर प्रदेश सपा और बसपा का मजबूत किया है। बीते 2014 के लोकसभा चुनाव परिणाम यह बताते हैं कि राज्यों की 80 संसदीय सीटों में से अधिकतर सीटों कहीं सपा तो कहीं बसपा दूसरे नंबर पर रही हैं। लिहाजा मौजूदा लोकसभा चुनाव में दोनों दलों का गठबंधन उत्तर प्रदेश में मजबूत स्थिति में होगा। लिहाजा पिछले लोकसभा चुनाव में दोनों दलों को मिले मत इस चुनाव में एक होंगे। इसका लाभ उन्हें मिलने की संभावना है। जाहिर है कि सपा-बसपा गठबंधन होने, कांग्रेस के लिए दो और रालोद के लिए तीन सीटें छोड़ने के बाद गठबंधन के पास करीब तीन-तीन दर्जन सीटें बच गयी हैं। साथ ही गठबंधन होने से सपा और बसपा के पास भी सीटें कम हैं। उन पर दोनों ही दलों के दावेदारों का दबाव है। फिर इसमें कांग्रेस को ज्यादा सीटें देने की गुंजाइश बची है। इसके बावजूद कांग्रेस से सीटें साझा जाती तो पार्टी स्तर पर इसका ज्यादा नुकसान सपा-बसपा गठबंधन को होता। इसके इतर सपा-बसपा गठबंधन अन्य राज्यों में कांग्रेस के साथ सीटें साझा करने से बहुत ज्यादा लाभ नहीं दिख रहा है। लिहाजा अन्य राज्यों में साझे तौर पर कांग्रेस से सीटें पाने के लिए उत्तर प्रदेश में बड़े नुकसान का पक्षधर नहीं है। इसके इतर इन राज्यों में गठबंधन नये प्रयोग के तौर पर चुनाव में अपनी मजबूत पकड़ बनाने की कोशिश में हैं।

विनोद श्रीवास्तव/सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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