मायावती ‘हाथी’ और अपनी मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ जनता का धन लौटाएं: न्यायालय
उच्चतम न्यायालय एक कड़ी मौखिक टिप्पणी में कहा कि बसपा प्रमुख मायावती को उत्तर प्रदेश में सार्वजनिक स्थानों पर अपनी तथा बसपा के चुनाव चिह्न ‘हाथी’ की मूर्तियां बनवाने में खर्च किया गया सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में जमा कराना चाहिए।
![]() मायावती ‘हाथी’ और अपनी मूर्तियां पर जनता का धन लौटाएं |
शीर्ष अदालत ने ये टिप्पणियां एक अधिवक्ता द्वारा 2009 में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कीं। अधिवक्ता का आरोप है कि 2008-09 और 2009-10 के राज्य बजट से करीब दो हजार करोड़ रुपये का इस्तेमाल मायावती ने मुख्यमंत्री रहते हुए विभिन्न स्थानों पर अपनी तथा बसपा के चुनाव चिन्ह हाथी की मूर्तियां लगाने में किया।
पीठ ने कहा कि अपनी मूर्तियां लगाने तथा राजनीतिक दल के प्रचार के लिए सरकारी धन का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।
न्यायालय ने 29 मई 2009 को उत्तर प्रदेश सरकार और मायावती को लखनऊ और नोएडा में अपनी तथा हाथी की मूर्तियां बनवाने के लिए सरकारी धन के इस्तेमाल के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया था।
शुक्रवार को जब यह मामला सुनवाई के लिए रखा गया तो प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘सुश्री मायावती, पूरा धन वापस कीजिए। हमारा नजरिया है कि मायावती को खर्च किया गया पूरा धन वापस लौटाना चाहिए।’’
पीठ ने कहा, ‘‘हमारी शुरुआती राय है कि मायावती को अपनी और अपनी पार्टी के चुनाव चिह्न की मूर्तियां बनवाने पर खर्च हुआ सार्वजनिक धन सरकारी खजाने में वापस जमा करना होगा।’’
हालांकि, पीठ ने कहा कि उसने शुरुआती नजरिया इसलिए व्यक्त किया क्योंकि इस याचिका पर विस्तार से सुनवाई में वक्त लगेगा, इसलिए इसे दो अप्रैल को अंतिम सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाता है।
शीर्ष अदालत ने 22 फरवरी 2010 को चुनाव आयोग से 2012 के विधानसभा चुनावों के दौरान सार्वजनिक स्थानों पर इन चुनाव चिन्हों को हटाने की याचिका पर विचार करने को कहा था।
आयोग ने सात जनवरी 2012 को आदेश दिया था कि मायावती और हाथियों की मूर्तियों को विधानसभा चुनावों के दौरान ढंका जाए।
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