मुआवजा नहीं लेने पर भी किसान को जमीन वापस नहीं
पांच साल तक जमीन पर कब्जा न लेने तथा मुआवजा न उठाने की सूरत में नए भूमि अधिग्रहण कानून के तहत किसान को जमीन पर कब्जा वापस देने का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने पलट दिया है.
![]() सुप्रीम कोर्ट |
चार साल पुराने फैसले के बदल जाने से देशभर में सैकड़ों की तादाद में किसानों को नुकसान होगा. उन्हें जमीन पर वापस मिला कब्जा सरकार को वापस करना होगा. जहां किसानों को सुप्रीम कोर्ट के नए निर्णय से लाभ होगा वहीं किसानों को नए कानून के तहत ज्यादा मुआवजा मिलने के आसार पर पानी फिर गया है.
जस्टिस अरुण मिश्रा, आदर्श कुमार गोयल और मोहन शांतानगोदार की बेंच ने कहा कि तत्कालीन चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा जनवरी 2014 में पुणो नगर निगम मामले में दिए गया फैसला सही तथ्यों पर आधारित नहीं था. अदालत के सामने सभी तथ्य नहीं रखे गए थे. सुप्रीम कोर्ट का आठ फरवरी को दिया निर्णय एक बार फिर वृहद बेंच को भेजा गया गया है. बेंच ने चीफ जस्टिस से अनुरोध किया है कि कुछ मुद्दों पर स्पष्टता के लिए वृहद पीठ का गठन करना होगा.
सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले में कहा गया है कि यदि सरकार ने ट्रेजरी में मुआवजा की रकम जमा कर दी है तो यह किसान को उसके जमीन का मुआवजा माना जाएगा भले ही उसने यह जमा राशि नहीं उठाई हो. दूसरे, एक्वायर की गई जमीन पर पांच साल तक कब्जा न लेने की मियाद में कोर्ट के स्टे या फैसले के कारण बीता समय शामिल नहीं होगा. जबकि पूर्व के फैसलों पर इससे विपरीत कहा गया था. पुराने फैसलों में किसानों को राहत दी गई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मुआवजे की घोषणा की तिथि से पांच साल के अंदर अगर सरकार ने जमीन पर कब्जा नहीं लिया है तो सरकार को भूमि पर कब्जा हासिल करने के लिए 2013 के भूमि अधिग्रहण कानून के तहत नए सिरे से कार्रवाई करनी होगी. पांच साल की अवधि में कब्जा न लेने पर पुराने कानून के तहत कार्रवाई लैप्स(कालातीत) मानी जाएगी और सरकार भूमि का अधिग्रहण नहीं कर सकेगी. सुप्रीम कोर्ट ने भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनरुद्धार अधिनियम, 2013 की व्या या करते हुए भूस्वामियों को बड़ी राहत प्रदान की थी. गरतलब है कि यूपीए सरकार द्वारा लाया गया नया भूमि अधिग्रहण कानून एक जनवरी, 2014 से लागू हो गया था.
| Tweet![]() |