चुनाव आयोग ने राहुल के खिलाफ नोटिस वापस लिया

Last Updated 18 Dec 2017 06:19:28 AM IST

चुनाव आयोग ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को 13 दिसंबर को जारी किया गया नोटिस रविवार देर रात वापस ले लिया. आयोग ने आदर्श चुनाव आचार संहिता तथा जन प्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 के प्रावधानों की समीक्षा के लिए एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया है.


निर्वाचन आयोग (फाइल फोटो)

चुनाव आयोग ने गुजरात में अंतिम चरण के चुनाव का मतदान समाप्त होने से पूर्व की 48 घंटे की अवधि के दौरान कुछ टीवी चैनलों को साक्षात्कार देने और उसका प्रसारण होने के मद्देनजर नोटिस जारी किया था.

आयोग ने इसे प्रथम दृष्टया आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन मानते हुए उनसे 18 दिसंबर तक जवाब देने को कहा था. आयोग ने आज देर रात कांग्रेस को भेजे एक पत्र में कहा है कि श्री गांधी को जारी किया गया नोटिस वापस लिया जा रहा है.

आयोग ने कहा है कि नोटिस के खिलाफ कांग्रेस ने ज्ञापन दिया था और इस संबंध में तथा उससे जुड़े अन्य मामलों पर आयोग के साथ चर्चा भी की थी. इसके बाद आयोग ने चुनाव आचार संहिता तथा जन प्रतिनिधित्व कानून की संबंधित धाराओं के संदर्भ में इस मामले पर विचार किया.

आयोग ने कहा कि उसका मानना है कि डिजिटल तथा इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के व्यापक विस्तार को देखते हुए चुनाव संहिता तथा जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 तथा अन्य संबंधित प्रावधानों की मौजूदा चुनौतियों और स्थितियों के अनुरूप समीक्षा की जरुरत है.

आयोग ने कहा है कि इस संबंध में वह सभी राजनीतिक दलों, एनबीए तथा अन्य पक्षों से सलाह मशविरा कर उनके सुझाव लेगा. इसके अलावा इस संबंध में एक समिति गठित की जा रही है जो इस संबंध में आयोग को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी.



आयोग ने भारतीय जनता पार्टी को भी इसी तरह का एक पत्र भेजकर आचार संहिता और जन प्रतिनिधित्व कानून की धारा 126 तथा अन्य संबंधित प्रावधानों की समीक्षा के लिए समिति गठित करने के संबंध में जानकारी दी है.

उसने कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों को सलाह दी है कि किसी भी क्षेत्र में मतदान समाप्त होने से 48 घंटे पहले की अवधि के दौरान किसी तरह का चुनाव प्रचार न किया जाए.

आयोग ने भाजपा को भेजे पत्र में कहा है कि 13 दिसंबर की रात कांग्रेस ने उसे एक ज्ञापन सौंप कर आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी भाजपा अध्यक्ष अमित शाह, केन्द्रीय मंत्री अरुण जेटली, पीयूष गोयल तथा भाजपा के कुछ अन्य नेताओं ने चुनाव संहिता का उल्लंघन किया है और उनके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

इसके बाद 14 दिसंबर को भाजपा का एक प्रतिनिधिमंडल भी आयोग से मिला था और अपनी ओर से ही कांग्रेस द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया था. इस सब पर विचार करने के बाद भी आयोग ने आचार संहिता की समीक्षा का निर्णय लिया है.

 

 

वार्ता


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