तीन तलाक देने वालों की सजा भी तय करे उच्चतम न्यायालय

Last Updated 24 Aug 2017 02:40:30 PM IST

ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड ने उच्चतम न्यायालय द्वारा रोक के बावजूद एक साथ लगातार तीन बार तलाक बोलकर पत्नी के साथ रिश्ता खत्म करने का एक ताजा मामला सामने आने पर चिंता जाहिर करते हुए न्यायालय से अनुरोध किया है कि वह इसकी सजा तय भी तय करे.


(फाइल फोटो)

ऑल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि अपनी मांग को लेकर वह न्यायालय का दरवाजा खटखटायेगा.
    
बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने गुरुवार को भाषा से बातचीत में कहा, उच्चतम न्यायालय ने कल ही तीन तलाक को असंवैधानिक घोषित करते हुए उस पर रोक लगायी, लेकिन कल ही मेरठ में एक गर्भवती महिला को उसके पति ने तलाक, तलाक, तलाक बोला और अपना रिश्ता खत्म कर लिया. अब सवाल यह है कि ऐसा करने वालों को कौन सी सजा दी जाएगी. 
    
उन्होंने गुजारिश की कि उच्चतम न्यायालय अपने आदेश की अवहेलना करते हुए तीन तलाक देने वालों के खिलाफ सजा भी मुकर्र करे, तभी इस पर रोक लगेगी और पीड़ितों को न्याय मिलेगा. बोर्ड इसके लिये याचिका दाखिल करके न्यायालय से अपील भी करेगा.
    
शाइस्ता ने कहा कि अदालत ने जहां संसद से तीन तलाक को लेकर कानून बनाने को कहा है, वहीं सरकार उच्चतम न्यायालय के आदेश को ही कानून बताकर अपना पल्ला झाड़ती नजर आ रही है. कहीं ऐसा ना हो कि तीन तलाक का मामला किसी अंजाम पर पहुंचने के बजाय अधर में ही लटक जाए और मुस्लिम महिलाओं के साथ अन्याय जारी रहे.


    
उन्होंने कहा कि बोर्ड को यह एहसास हो रहा है कि मौजूदा सूरतेहाल में तीन तलाक को लेकर मुस्लिम समाज सरकार और अदालत के उलझावे में फंस जाएगा. सरकार और उच्चतम न्यायालय इस मामले पर अपना रूख स्पष्ट करें, नहीं तो सड़कों पर आंदोलन किया जाएगा.
    
शाइस्ता ने दावा किया कि मंगलवार को तीन तलाक को लेकर उच्चतम न्यायालय के ऐतिहासिक निर्णय के चंद घंटे बाद मेरठ जिले के सरधना में एक गर्भवती महिला को उसके पति सिराज खान ने तीन तलाक दे दिया. यह न्यायालय के आदेश की अवमानना है, लेकिन इसके लिये कोई सजा तय नहीं है. ऐसे में सवाल यह है कि दोषी के खिलाफ क्या कार्यवाई होगी.

भाषा


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