कांग्रेस ने तीन तलाक पर न्यायालय के फैसले का स्वागत किया : बताया महिला अधिकारों के पक्ष में

Last Updated 22 Aug 2017 03:51:41 PM IST

तीन तलाक पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को 'ऐतिहासिक' करार देते हुए कांग्रेस ने आज इसका स्वागत किया और कहा कि भेदभाव को दूर करने और महिलाओं का अधिकार बहाल करने की दिशा में यह निर्णय बहुत महत्वपूर्ण साबित होगा.


कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला (फाइल फोटो)

कांग्रेस ने साथ ही भाजपा पर आरोप लगाया कि वह इस मामले में  दोगली नीति पर चल रही है क्योंकि यदि वह मुस्लिम महिलाओं के हितों को लेकर इतनी ही चिंतित थी तो उसे उच्चतम न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा किये बिना ही तीन तलाक को प्रतिबंधित करने के लिए कानून बना देना चाहिए था.

पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने आज संवाददाताओं से कहा, हम उच्चतम न्यायालय के इस ऐतिहासिक निर्णय का स्वागत करते हैं. तीन तलाक की प्रथा इस्लामिक शिक्षा के विरूद्ध है. तीन तलाक की प्रथा इस्लामिक न्यायशास्त्र के दो मूल स्रोत कुरान और हदीस के विरूद्ध है. 

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय के इस फैसले से भेदभाव एवं शोषण दूर होगा और महिलाओं के अधिकार बहाल होंगे. उन्होंने कहा कि हमने पहले भी कहा था कि हम इस मुद्दे पर उच्चतम न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करेंगे और वह जो भी फैसला देगा, वह सभी को मान्य होगा.

भाजपा द्वारा इस मु्द्दे पर शुरू से अपना रूख स्पष्ट रखने और कांग्रेस द्वारा उसका रूख स्पष्ट नहीं किये जाने के बारे में सवाल किये जाने पर सुरजेवाला ने कहा कि हमने शुरू से ही फोन, व्हाट्स एप, ईमेल आदि के जरिये फौरी तलाक का विरोध किया था और उच्चतम न्यायालय के निर्णय से हमारा रूख सही साबित हुआ है.

उन्होंने भाजपा की ओर संकेत करते हुए कहा,  हम इस तरह के मामलों का इस्तेमाल वोट की राजनीति के लिए नहीं करते, जैसा कि आज की सत्तासीन पार्टी करती है. और यदि यह उनका रूख था तो वह कानून लेकर क्यों नहीं आये. उन्होंने उच्चतम न्यायालय के निर्णय का इंतजार क्यों किया. 
      
सुरजेवाला ने कहा कि भाजपा को यह दोगली नीति बंद करनी चाहिए कि इधर भी चलेंगे और उधर भी चलेंगे. यदि उनका रूख था तो उनके पास संसद में बहुमत है. वह उच्चतम न्यायालय के फैसले की प्रतीक्षा किये बिना कानून लाते और इसे खारिज करवा देते. 



सुरजेवाला ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के इस फैसले में यह भी कहा गया है कि संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धर्म को मानने के अधिकार का संविधान के अध्याय तीन के आधार पर हर बार आंकलन नहीं किया जा सकता. उच्चतम न्यायालय का यह निर्णय उस व्यापक बुद्धिमत्ता को भी स्वीकार करता है जिसमें मुस्लिम महिलाओं के साथ न्यायसंगत व्यवहार की वकालत की गयी थी.

एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि तीन तलाक या तलाक ए बिद्दत को रोकने के लिए सरकार को संसद में कानून पारित करवाने का मत उच्चतम न्यायालय की पीठ का अल्पमत है. ईमेल, पत्र, व्हाट्स एप, मोबाइल, फोन आदि द्वारा तलाक बोल देने की इस प्रथा को उच्चतम न्यायालय ने गलत ठहराया है.

कांग्रेस के राशिद अल्वी जैसे नेताओं द्वारा उच्चतम न्यायालय के इस फैसले को दुखद बताये जाने के बारे में पूछने पर सुरजेवाला ने कहा, कांग्रेस पार्टी ने अपनी बात स्पष्ट शब्दों में आपके सामने रखी है. कांग्रेस का यही स्पष्ट मत है.
 
कांग्रेस द्वारा पहले शाहबानो के मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का विरोध करने और ताजा फैसले का स्वागत किये जाने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा, दशकों पहले संसद ने एक कानून पारित किया था. वह कानून केवल कांग्रेस ने पारित नहीं किया था. उच्चतम न्यायालय के फैसले के बाद संसद ने किन परिस्थितियों में वह निर्णय किया और तत्कालिक सांसदों का क्या विचार था, यह वे ही बता सकते हैं.

इसी प्रकार जब हिन्दू संहिता विधेयक पंडित जवाहरलाल नेहरू लेकर आये तो उसमें महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार नहीं दिया गया. बाद में महिलाओं के अधिकारों की बात को महसूस करते हुए संप्रग सरकार के शासनकाल में एक पहल हुई तथा संसद में एक कानून पारित कर महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार दिलवाया गया.  

भाषा


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