2008 मालेगांव कांड : सुप्रीम कोर्ट से लेफ्टिनेंट कर्नल पुरोहित को कुछ शर्तो के साथ जमानत

Last Updated 21 Aug 2017 11:25:03 AM IST

सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2008 में मालेगांव में हुए सिलसिलेवार बम विस्फोट मामले में आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल श्रीकांत प्रसाद पुरोहित को आज जमानत दे दी है.




सुप्रीम कोर्ट ने पुरोहित की जमानत मंजूर की (फाइल फोटो)

न्यायमूर्तिआर के अग्रवाल और न्यायमूर्तिए एम सप्रे की पीठ ने बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हुए यह फैसला सुनाया. हाई कोर्ट ने पुरोहित को जमानत देने से इनकार कर दिया था.
     
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने पुरोहित को कुछ शर्तो के साथ जमानत दी है जिनमें देश से बाहर जाने पर रोक भी शामिल है.
     
पुरोहित ने 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह राजनीतिक खेल में फंस गये हैं और नौ वर्षो से जेल में बंद हें.
     
पुरोहित ने उन्हें जमानत नहीं देने के बंबई उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

ले. कर्नल पुरोहित की ओर से जाने-माने वकील हरीश साल्वे ने इस मुकदमे के आरोपियों के साथ दोहरे मापदंड अपनाने का एनआईए पर आरोप लगाते हुए कहा था कि जब आरोपी साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जा सकता है तो उनके मुवक्किल को क्यों नहीं?

साल्वे ने इस मामले के गवाहों के बयानों पर भी सवाल खड़े किये थे. उन्होंने कहा कि न्याय के हित में कर्नल पुरोहित को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाना चाहिए, जबकि एनआईए ने उनके इस अनुरोध का पुरजोर विरोध किया था.
        
एनआईए की दलील थी कि ले कर्नल पुरोहित के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं, जबकि साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर के खिलाफ कोई सबूत नहीं है. अभियोजन एजेंसी ने कहा था कि इस मामले में बॉम्बे उच्च न्यायालय का फैसला बरकरार रखा जाना चाहिए.
      
कर्नल पुरोहित ने बॉम्बे उच्च न्यायालय द्वारा जमानत याचिका निरस्त किये जाने को चुनौती दी थी, जबकि धमाके के पीड़ितो में से एक के पिता निसार अहमद हाजी सैयद बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा को जमानत पर रिहा करने के उच्च न्यायालय के 25 अप्रैल के आदेश को चुनौती दी. हाजी बिलाल ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर की जमानत रद्द करने का अनुरोध शीर्ष अदालत से किया था.


     
उत्तरी महाराष्ट्र के नासिक जिले में स्थित साम्प्रदायिक रूप से संवेदनशील शहर मालेगांव में 29 सितंबर, 2008 को हुए बम विस्फोट में सात लोग मारे गये थे.
     
विशेष मकोका अदालत ने पहले फैसला दिया था कि एटीएस ने साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, पुरोहित और नौ अन्य लोगों के खिलाफ गलत तरीके से मकोका कानून लगाया है.
     
चार हजार पन्नों के आरोपपत्र में यह आरोप लगाया गया है कि मालेगांव को मुसलमान बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण विस्फोट के लिए चुना गया था. इसमें साजिश करने वालों के रूप में प्रज्ञा, पुरोहित और सह-आरोपी के रूप में स्वामी दयानंद पांडेय का नाम था. हालांकि प्रज्ञा ठाकुर को एनआईए ने पिछले वर्ष क्लीनचिट दे दी .

 

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