गूंगे-बहरों का गांव है पाक सीमा पर खेत
जम्मू-कश्मीर की सरहद पर बसे गावों की हालत बेहद खराब है. यहां के लोग न तो अपने अधिकारों को जानते हैं और न ही मानव अधिकारों के हनन के बारे में इन्हें कोई जानकारी है.
समय की विशेष खबर. |
पुंछ जिले के सब्जियां सेक्टर में बसे एक गांव की भी यही व्यथा है. इस गांव का नाम खेत है और यह पाकिस्तान सरहद से सटा हुआ है. अक्सर यहां पाकिस्तान की तरफ से अकारण ही फायरिंग होती रहती है जिससे इन लोगों का बहुत नुकसान होता रहता है. इस गांव में रहने वालों की संख्या लगभग 1100 से अधिक है.
खेत गांव की खूबसूरती अपने आप में बहुत कुछ बयां करती है. यह गांव सिर्फ खूबसूरती के लिए ही नहीं जाना जाता, यह जाना जाता है यहां की आबादी में पल रहे उन बच्चों और युवाओं के लिए जो इशारों- इशारों में बात करते हैं और समझते भी हैं. इस गांव में हर घर का एक व्यक्ति न सुन पाता, है न बोल पाता है.
इशारो में बात करने वाले इन लोगों के मन में बहुत प्रश्न होंगे. प्रश्न यह कि क्या कभी ये भी बात कर पाएंगे. ये भी दूसरे लोगों की तरह बोल या सुन सकेंगे. इन्हें बेहद अफसोस होता होगा कि केवल इनके साथ ही ऐसा क्यों हुआ. राज्य और केंद्र सरकार ने इन लोगों को भुला दिया है. खेत गांव में पिछले काफी अरसों से हर घर में एक न एक बच्चा गूंगा और बहरा पैदा होता है.
त्रासदी यह है कि ये लोग मानते हैं कि यह सब कुछ इसलिए है क्योंकि इस गांव के पानी में ही ऐसा कुछ है जिससे उन्हें यह दुख झेलना पड़ रहा है. गांव में बच्चों के पढ़ने के लिए भी सुविधा नहीं है. इस गांव में कोई भी सरकारी स्कूल नहीं है. हालांकि एक आंगनवाड़ी जरूर है जिसका जिम्मा शबनम नाम की आंगनवाड़ी वर्कर ने उठा रखा है. शबनम पिछले कई सालों से इन बच्चों को शिक्षा दे रही हैं. जो बच्चे न बोल सकते हैं और न ही सुन सकते हैं उनको भी शबनम अपने तरीके से पढ़ाती है.
इन लोगों का यह भी कहना है कि कई बार यहां सरकारी मुलाजिम आए और आासन देकर चले गए लेकिन अब तक महज आासन ही मिला है, किसी भी तरह से सरकार की ओर से इन लोगों को मदद नहीं मिल रही है.
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