सड़क निर्माण में अत्याधुनिक तकनीक के प्रयोग से होगी दुर्घटनाओं में कमी: गडकरी
सरकार न केवल अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग कर कम खर्च में विश्वस्तरीय राजमार्गों एवं एक्सप्रेस वे का निर्माण कर रही है बल्कि सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम तथा पर्यावरण के संरक्षण के लिए हरसंभव प्रयास किये जा रहे हैं.
![]() सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (फाइल फोटो) |
सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कुंडली, मानेसर, पलवल ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे का स्थल निरीक्षण और समीक्षा बैठक के बाद शुक्रवार को बागपत में संवाददाताओं से कहा कि देश का यह पहला एक्सप्रेस हाई-वे है जिसमें अत्याधुनिक तकनीक का प्रयोग किया गया है जिसमें कैमरे, ओवर स्पीड चेकिंग सिस्टम, ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क, वार्निंग, माप-तौल और दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए जानवरों को सड़क पर आने से रोकने के लिए दोनों किनारों पर बाड़ लगाये जायेंगे.
गडकरी ने कहा कि इस सड़क के निर्माण से राष्ट्रीय राजधानी में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर से आने वाले वाहनों की संख्या में कमी आयेगी और वायु प्रदूषण की समस्या भी कम होगी. देश में सालाना पांच लाख सड़क दुर्घटनाओं में डेढ़ लाख लोगों की मौत होने की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि इसे कम से कम करने तथा ग्रामीणों की सुविधा के लिए जगह-जगह अंडर पास बनाये गये हैं. इसी प्रकार देश में दुर्घटनाओं के लिए चर्चित 76 ब्लैक स्पॉट को ठीक करने पर 11000 करोड़ रुपये खर्च किये जा रहे हैं.
सड़क परिवहन मंत्री ने कहा कि कुंडली मानेसर और पलवल के बीच 135 किलोमीटर लम्बी कंक्रीट सड़क के निर्माण पर 4700 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं जबकि जमीन अधिग्रहण के लिए 5900 रूपये दिये गये हैं. उन्होंने दावा किया कि यह सड़क 200 साल तक चलेगी और इसमें गड्डे नहीं बनेंगे जबकि कोलतार से निर्मित सड़कों को हरेक दो साल बाद मरम्मत करानी पड़ती हैं. इसके निर्माण के बाद सड़क के दोनों किनारे औद्योगिक क्षेत्र स्थापित किये जायेंगे जिससे किसानों को फायदा होगा.
120 किलोमीटर की रफ्तार से चलने वाली इस सड़क के किनारे हरियाली के लिए पेड़ और हरी घास के अलावा फूलों के पौधे भी लगाये जायेंगे. कंक्रीट वाली सड़क पर टायर के घर्षण से लगने वाली आग की रोकथाम के लिए कंक्रीट के ऊपर कोलतार मिले मिश्रण की एक परत चढ़ाने के प्रस्ताव पर भी विचार किया जा रहा है.
गडकरी ने कहा कि इस सड़क के निर्माण में मिट्टी, बालू, ताप बिजली घरों के राख, इस्पात उद्योग के वायल स्लेग, सीमेंट और इस्पात का उपयोग किया गया है.
उन्होंने कहा कि कई स्थानों पर मिट्टी की अनुपलब्धता और 11 राज्यों में भूगर्भ जल स्तर में कमी की समस्या है जिसके समाधान के लिए वह सड़क किनारे की जमीन से मिट्टी लेंगे और वहां तालाब और झील का निर्माण किया जायेगा. इससे न केवल कम लागत में सड़क बनेंगी बल्कि वर्षा जल का संग्रह भी किया जा सकेगा तथा ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की समस्या का भी समाधान किया जा सकेगा.
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