नक्सल प्रभावित इलाकों में सीआरपीएफ और अधिक उग्रवाद रोधी अभियान चलाएगा
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में हाल ही में नक्सली हमलों में सीआरपीएफ के 37 कर्मियों के मारे जाने के बाद बल ने सर्वाधिक नक्सल प्रभावित दक्षिण बस्तर क्षेत्र में उग्रवाद रोधी अभियानों की संख्या बढ़ाने का फैसला किया है.
![]() सीआरपीएफ के कार्यवाहक महानिदेशक सुदीप लखटकिया (फाइल फोटो) |
सीआरपीएफ के कार्यवाहक महानिदेशक (डीजी) सुदीप लखटकिया ने कहा कि घात लगा कर किए गए हमले ने इन इलाकों में मानक संचालन कार्यप्रणाली (एसओपी) की समीक्षा की स्वभाविक जरूरत पैदा की है.
उन्होंने कहा कि बल ने इन नये उपायों को करने फैसला किया है क्योंकि यह सड़क निर्माण कार्य की सुरक्षा करना जारी रखेगा जो मध्य भारत के इन दूर दराज के इलाकों में विकास करने में मदद करता है.
डीजी ने सुकमा के बुर्कापाल में घटना स्थल का दौरा करने के एक दिन बाद पीटीआई भाषा से कहा, ‘‘हमने रणनीति में बदलाव करने का फैसला किया है. हमने कुछ सबक सीखा है. मैं ब्योरा तो नहीं दे सकता लेकिन मैं आपसे कह सकता हूं कि हम अपने बलों को नये सिरे से तैनाती करेंगे और उग्रवाद रोधी विशेष अभियानों की संख्या तथा गुणवत्ता बढ़ाएंगे.’’
उन्होंने कहा कि बल को यह सुनिश्चित करना होगा कि शत्रु इसे किसी तरह से आश्चर्यचकित करने की कोशिश ना करें. ‘‘हम उनका पीछा करेंगे और पहले ही उलझा लेंगे.’’
कार्यवाहक डीजी ने कहा कि इसलिए आधे कर्मी सड़क निर्माण की सुरक्षा और इस तरह के अन्य कार्य करेंगे जबकि अन्य आधे लोग उग्रवाद रोधी विशेष अभियान चलाएंगे.
सीआरपीएफ की कुल 28 बटालियन छत्तीसगढ़ में तैनात हैं जिनमें 10 बटालियन तो सिर्फ बस्तर क्षेत्र में ही तैनात है. बल की एक नियमित बटालियन में करीब 1,000 कर्मी होते हैं. उन्होंने कहा कि बल की नयी कार्य योजना इलाके में प्रभावी होगी.
हालांकि लखटकिया ने कहा कि ऐसे अभियानों में जिनमें जवानों को लंबे समय तक खुले में रहना होता है और इलाका जोखिम भरा होता है, एसओपी और अन्य रणनीतियों की जरूरत के मुताबिक समीक्षा करनी होगी तथा यही चीज वे कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि हमला स्थल के एक प्रारंभिक विश्लेषण से संकेत मिलता है कि सीआरपीएफ के चार सेक्शन के लोग करीब 600- 750 मीटर की दूरी पर अलग - अलग थे जबकि चारों ओर से गोलियां चल रही थी. 24 अप्रैल को वहां हुए हमले में सीआरपीएफ के 25 कर्मी मारे गए थे.
डीजी ने कहा कि नक्सली जवानों का पीछा करते हैं ..वे वक्त और जगह चुनने के बाद उन पर हमले करते हैं. वे स्थानीय ग्रामीणों का मानव ढाल के रूप में इस्तेमाल करते हैं. जाहिर तौर पर बल के कर्मी उस वक्त दोपहर का भोजन कर रहे थे जब पहला हमला हुआ. उन्होंने बताया कि घटनाओं का क्र म बनाने में कुछ वक्त लगेगा ..जांच पहले से चल रही है और उससे हमें और अधिक जानकारी मिलेगी.
उन्होंने कहा कि जांच पूरी होने पर ही पता चलेगा कि एसओपी का कोई उल्लंघन हुआ या कोई चूक हुई थी. लखटकिया ने कहा कि कुछ जवानों के शव क्षत विक्षत किए जाने की पुष्टि अभी नहीं हो पाई है.
इस बीच, नक्सल रोधी अभियानों में शामिल वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कुछ विशेष अभियान ‘सीआरपीएफ - कोबरा ’ के तहत जल्द ही सुकमा, दंतेवाड़ा, कोंडागांव, बीजापुर और जगदलपुर सहित दक्षिण बस्तर क्षेत्र में शुरू किया जाएगा.
जवानों को आसपास के क्षेत्रों में स्थित कम से कम चार हेलीकॉप्टरों और तीन मानव रहित विमानों :यूएवी: से हवाई मदद मुहैया करायी जाएगी. यूएवी राज्य के भिलाई स्थित अपने ठिकाने से बस्तर के जंगलों और ओड़िशा, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश से लगी राज्य की दक्षिणी सीमा की निगरानी करेंगे.
गौरतलब है कि सुकमा जिले में 24 अप्रैल के हमले में सीआरपीएफ के 25 कर्मी मारे गए थे जबकि इसी जिले में भेजी के पास 11 मार्च को हुए हमले में बल के 12 कर्मी मारे गए थे. इसके अलावा नक्सलियों ने भारी मात्रा में हथियार, गोला बारूद और संचार उपकरण भी लूट लिए थे.
| Tweet![]() |