शिक्षा में भगवाकरण के आरोपों को नकारा

Last Updated 09 Jun 2015 06:00:40 AM IST

स्मृति ईरानी ने कहा कि देश की शिक्षा पद्धति की अंतर्निहित शक्ति, प्राचीन अवधारणाओं और मूल्यों की विदेशों में प्रशंसा और सराहना की जाती है लेकिन देश में इसे ‘भगवा’ बताया जाता है.


केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को गुवाहाटी में आईआईटी के 17वें दीक्षांत समारोह में छात्र-छात्राओं को डिग्रियां बांटीं.

स्मृति ने कहा कि क्या भारत की अंतर्निहित शक्ति को अहमियत नहीं दी जानी चाहिए ? उन्होंने कहा कि यहां तक कि गणित के क्षेत्र में भगवाकरण के आरोप लग रहे हैं जबकि भारत की प्रचीन गणीतिय पद्धति पर दुनियाभर में अनुसंधान हो रहा है.

हिन्दू शिक्षा बोर्ड की ओर से यहां आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि प्रिंसटन विविद्यालय के प्रोफेसर मंजुल भार्गव को अपने देश में आलोचनाओं का सामना करना पड़ रहा है जिन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने संस्कृत की कविताओं के माध्यम से गणित के सिद्धांत सीखे हैं.

स्मृति ने कहा, उन पर टेलीविजन शो के दौरान गणित के भगवाकरण करने के आरोप लग रहे हैं. यह केवल भारत में ही संभव है कि आपके पास गणित की प्राचीन पद्धति है जिसके बारे में दुनिया में खोज चल रही है और प्रशंसा हो रही है और यह भारत में भगवा बन जाता है.

स्मृति ने कहा, क्या हर भारतीय चीज को अहमियत नहीं दी जानी चाहिए ? क्या यह किसी देश में संभव है कि हम अपनी अंतर्निहित शक्ति से पल्ला झाड़े, हम अपनी अंतर्निहित धरोहर, अपनी संस्कृति, अपना गौरवमयी इतिहास छोड़ दें.

योग दिवस समारोह से जुड़े विवाद का जिक्र  करते हुए उन्होंने कहा, मुझे आश्चर्य है कि जिन सभी 175 देशों ने हमें यह दिवस मनाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में समर्थन दिया, वे हमारे इतने ही भगवा थे. नई शिक्षा नीति का जिक्र  करते हुए स्मृति ने कहा कि यह इस वर्ष के अंत तक तैयार हो जाएगी और राष्ट्र निर्माण के कार्य में मददगार होगी. उन्होंने कहा, शिक्षा केवल मसौदा नीति तैयार करने अथवा स्कूल या विविद्यालय तक ही सीमित नहीं है. यह मानव के अस्तित्व और समाज को परिभाषित करती है.

समारोह में आरएसएस के संयुक्त सह सरकार्यवाह कृष्ण गोपाल ने कहा कि शिक्षा पद्धति ऐसी होनी चाहिए जो छात्रों को उनकी जड़ों, उनकी संस्कृति से जोड़े और आध्यात्मिक संयोजन प्रदान करे.

पूर्व राष्ट्रपति और प्रसिद्ध शिक्षाविद डा. सर्वपल्ली राधाकृष्णन का जिक्र  करते हुए कृष्ण गोपाल ने कहा कि दिवंगत नेता ने कहा था कि शिक्षा का गैर भारतीय स्वरूप होना एक शताब्दी से अधिक समय से हमारी शिक्षा पण्राली के खिलाफ एक गंभीर शिकायत रही है. कृष्ण गोपाल ने कहा कि भारत ने कई आईआईटी और आईआईएम स्थापित किए हैं लेकिन ऐसी कोई दृष्टि या दर्शन नहीं पेश कर सका जो एक स्नातक को अच्छा मनुष्य बना सके.

उन्होंने कहा, क्या भारत की विशिष्ठता उनमें मिलेगी? भारतीयता कहां है. भारतीय मन व्याकुल हो गया है. आध्यात्मिक बुद्धिमत्ता कहां है. उस शिक्षा का उद्देश्य क्या है जब एक व्यक्ति मस्तिष्क से इंजीनियर या डाक्टर बनता है लेकिन दिल से अच्छा नहीं बनता.

रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने उच्च शिक्षण संस्थाओं और उद्योग के बीच और अधिक संपर्क पर जोर दिया. वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कहा कि भारत अपनी सभ्यता से जुड़ी विरासत का उपयोग देश के समक्ष उत्पन्न कई समस्याओं के समाधान के लिए कर सकता है. उन्होंने कहा कि अगर हमें समस्याओं का समाधान निकालना है तब हमें भारत की खोज करनी होगी, हमें लीक से हटकर पहल करनी होगी. हमें भारतीय विज्ञान और नवोन्मेष की जरूरत है.

 



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