वज्रासन पेट को रखता है दुरुस्त
अनियमित खान-पान और आहार-विहार की वजह से पेट की बीमारी और गैस्टिक का होना आम बात है.
वज्रासन (फाइल) |
वज्र का मतलब ही होता है कठोर. वज्रासन से शरीर मजबूत और रक्त-संचार सुचारू होता है. यह आसन पेट संबंधी बीमारियों के लिए लाभप्रद है और यह वैज्ञानिक शोधों में भी सिद्ध हो चुका है.
वज्रासन पेट की उपापचीय दर को संतुलित कर उपापचीय क्रियाओं पर नियत्रण रखता है और आंत, पेट, मलाशय, पक्वायश्य सभी को दुरुस्त रखता है. इससे रीढ़ की हड्डी और कंधे सीधे होते हैं.
गैस संबंधी बीमारी है दूर
खास बात यह है कि इस योग को खाना खाने के बाद भी कर सकते हैं. इससे खाना आसानी से पचता है और गैस संबंधी बीमारी दूर होती हैं. साथ ही साथ यह पैरों की मांसपेशियों को मजबूत भी बनाता है.
योग की विधि
दोनों पैर सामने की तरफ फैलाकर बैठ जाएं फिर पैर को घूटने से मोड़कर ऐडी को पीछे की तरफ ले जाकर उसपर बैठ जाएं. हालांकि वज्रासन की तीन तरह से किया जा सकता है.
अर्ध वज्रासन
जो लोग वज्रासन की स्थिति में नहीं बैठ पाते उनके लिए वैकल्पिक रूप में अर्ध वज्रासन है. अर्ध वज्रासन में पैर मोड़कर एड़ियों के उपर बैठा जाता है और हाथ को घुटनों पर रखा जाता है.
वज्रासन
दूसरी स्थिति में पैरों की एड़ी, पंजे को दूर कर पुट्ठे फर्श पर टेक दिए जाते हैं किंतु दोनों घुटने मिले हुए होना चाहिए. इस स्थिति को भी वज्रासन ही कहा जाता है.
सुप्त वजसन
तीसरी स्थिति में पीठ के बल लेटकर दोनों हाथों की हथेलियों को सिर के नीचे एक-दूसरे से क्रास करती हुई कंधे पर रखने को ही हम सुप्त वज्रासन कहते हैं.
सावधान रहें
जिन्हें घुटनों में दर्द की शिकायत हो वे वज्रासन न करें.
Tweet |