पर्यटकों को लुभाते छत्तीसगढ़ के अनछुए स्थल
छत्तीसगढ़ भले ही नक्सली गतिविधियों के लिए कुख्यात है लेकिन यहां कई ऐसे स्थल हैं जो पयर्टकों को लुभाते हैं.
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स्वागत है! अगर आप प्रकृति की गोद में आ कर सुदूर पर्वत की चोटियों से बहता हुआ देश का सबसे चौड़ा जलप्रपात देखना चाहते हैं, या फिर, विश्व की प्राचीनतम नाटयशाला (ओपन थियेटर) देखने को उत्सुक हों, तो छत्तीसगढ़ में सैलानियों को लुभाने के लिए ढेरों सुकूनदायी स्थान हैं जहां शहरी कोलाहल, प्रदूषण, भागमभाग और रोजमर्रे के तनाव से हटकर हरियाली के बीच गुनगुनाया जा सकता है.
छत्तीसगढ़ में हरियाली और बर्फ का चादर
बहुत कम सैलानियों को शायद यह पता होगा कि छत्तीसगढ़ में मैनपाट एक ऐसी खूबसूरत जगह है जहां बर्फ गिरती है. बर्फ को पसंद करने के कारण तिब्बती भी यहां आकर बस गए हैं. सर्दियों में इलाका सफेद चादर से ढंक जाता है.
आपको यदि वाटर-फॉल्स के बाबत पूछा जाए तो यकीनन आप दुनियाभर में मशहूर नियाग्रा के जलप्रपात की ही चर्चा में मशगूल हो जाएंगे, लेकिन छत्तीसगढ़ में बस्तर अंचल में चित्रकोट (जगदलपुर) का जलप्रपात इतना मनमोहक और आकर्षक है कि इसे भारत का नियाग्रा कहने वालों की भी कमी नहीं है.
देश के सभी जलप्रपातों में चौड़ा जलप्रपात
वास्तव में छत्तीसगढ़ एक वनाच्छादित प्रदेश है. यहां आदिवासी सभ्यता और संस्कृति आज भी कायम है जिनको करीब से जानने और देखने के लिए विदेशी भारत आते हैं. चित्रकोट का जलप्रपात देशभर में मौजूद सभी जलप्रपातों में चौड़ा है. यह स्थान राजधानी रायपुर से 340 किलोमीटर दूर तथा जिला मुख्यालय जगदलपुर से महज 40 किलोमीटर दूरस्थ है.
बस्तर में वैसे तो जलप्रपातों की लंबी श्रृंखला है, चित्रकोट इनमें अनूठा है. वैसे तो पूरे बस्तर में कई और जलप्रपात भी अपार जलराशि के कारण एक विहंगम अनुभूति से भर देते हैं जिनमें 'तीरथगढ़ का जलप्रपात' भी प्रसिध्द है. यह जगदलपुर से 25 किलोमीटर दूर कांगेर (फूलों की घाटी) वैली राष्ट्रीय उद्यान में है. यहां का नैसर्गिक सौंदर्य शहरी सैलानियों को रोमांच और कौतूहल से भर देता है.
पाषाणयुगीन सभ्यता के चिन्ह
जगदलपुर के समीप 30 किलोमीटर की दूरी पर प्राकृतिक रूप से बनी कोटमसर गुफा भी है. यह विश्व प्रसिध्द है. पाषाणयुगीन सभ्यता के चिन्ह आज भी यहां मिलते हैं. गुफा के भीतर जलकुण्ड तथा जलप्रवाह अवशैल-उत्शैल (स्टेलेग्माइट-स्टेलेक्टाईट) की रजतमय संरचनाएं किसी भी सैलानी को ठिठक कर निहारते रहने के लिए बाध्य कर देती हैं.
बस्तर के अलावा अंबिकापुर से 80 किलोमीटर दूर अंबिकापुर-रामानुजगंज मार्ग के समीप तातापानी नामक झरना क्षेत्र है. यहां गर्मजल के 8-10 स्रोत हैं.
रायगढ़ जिले में घने वनों के बीच केंदई ग्राम में एक पहाड़ी नदी लगभग 100 फीट की ऊँचाई से गिरकर एक खूबसूरत प्रपात बनाती है. इसे केंदई जलप्रपात के नाम से जाना जाता है.
छत्तीसगढ़ का एडवेंचरस ईको-टूरिज्म
एडवेंचरस ईको-टूरिज्म के क्षेत्र में छत्तीसगढ़ अब तेजी से अपनी पहचान बना रहा है. यहां कोटमसर गुफा के अलावा कैलाश गुफा, दण्डक गुफा, अरण्यक गुफा और चारों तरफ हरीतिमा के साथ फैली घाटियां प्रकृतिप्रेमियों का मन मोह लेती हैं. केशकाल घाटी में सर्पीली सड़कों से गुजरते हुए इसके रोमांच को महसूस किया जा सकता है.
बस्तर घाटियों के लिए प्रसिध्द है. उत्तर में केशकाल और चारामा घाटी, दक्षिण में दरभा की झीरम घाटी, पूर्व में आरकू घाटी, पश्चिम में बंजारिन घाटी समेत पिंजारिन घाटी, रावघाट, बड़े डोंगर (छत्तीसगढ़ में डोंगर, पर्वत को कहा जाता है) प्रसिध्द हैं. बस्तर का दशहरा भी विख्यात है.
ऐतिहासिक घरोहरों में 5वीं सदी का बौद्ध मंदिर
ऐतिहासिक महत्व के स्थानों के लिए सुरुचि सम्पन्न पर्यटकों के लिए सिरपुर नामक एक ऐसी जगह की हाल में खुदाई हुई है. यह 5वीं शताब्दी में बना बौद्ध मंदिर क्षेत्र है. यहां लक्ष्मण मंदिर छठी शताब्दी में निर्मित माना गया है.
श्रीराम का ननिहाल
छत्तीसगढ़ राम का ननिहाल रहा है. उनकी माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की ही थीं. यहां शिवरीनारायण जैसी प्रसिध्द जगह है जहां राम ने शबरी से जूठे बेर खाए थे. भोरमदेव अपने अनूठे शिल्प के लिए जाना जाता है और डोंगरगढ़ जैसी जगहों पर हमेशा भीड़ रहती है.
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