Dhanteras 2020: दीपावली का पहला त्यौहार है धनतेरस, जानें महत्व

Last Updated 12 Nov 2020 12:26:54 PM IST

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाए जाने वाले पर्व को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।


हिंदू धर्म में इस त्योहार को बहुत ज्यादा विशेष माना जाता है। पांच दिनों तक मनाए जाने वाले दीपावली पर्व का धनतेरस पहला त्योहार होता है। इस दिन सोना‚ चांदी और पीतल की वस्तुएं खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है।

धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरी की पूजा की जाती है। जिस समय समुद्र मंथन हो रहा था‚ उस समय भगवान धनवंतरी 14वें रत्न के रूप में समुद्र मंथन से बाहर आए थे। इस दिन भगवान धनवंतरी के साथ– साथ भगवान गणेश‚ माता लक्ष्मी और कुबेर जी की पूजा भी की जाती है। धनतेरस से ही दीवाली का पर्व भी शुरू हो जाता है तो आइए पंडित चंद प्रकाश अग्निहोत्री से जानते हैं धनतेरस 2020 की तिथि‚ धनतेरस का शुभ मुहूर्त‚ धनतेरस की पूजा विधि और धनतेरस की कथा...

मान्यताओं के अनुसार इस दिन घर में नई वस्तुएं लाने से घर में धन की देवी माता लक्ष्मी और धन के देवता कहे जाने वाले भगवान कुबेर का वास होता है। इस दिन सोना‚ चांदी और पीतल की वस्तुओं को खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन ही राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस भी मनाया जाता है। वहीं‚ इस दिन नई झाडू खरीदने का भी विधान है। इसके पीछे मान्यता है कि झाडू में माता लक्ष्मी का वास होता है‚ जिसे घर में लाने से घर की सभी नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाती है।

दीपावली के तीन शुभ मुहूर्त होते हैं‚ जिनमें पूजा अर्चना की जानी चाहिए। दीपावली के दिन विशेषकर गणेश और लक्ष्मी की आराधना की जाती है. साथ ही कुबेर की भी आराधना की जाती है।

इस बार दीपावली 14 नवंबर को शनिवार के दिन पड़ रही है। दीपावली के दिन सरस्वती जी और हनुमान जी की भी आराधना की जाती है. दिवाली की पूजा के लिए तीन मुख्य लग्न कौन–कौन से हैं और इनका क्या समय है यह हम आपको नीचे बता रहा हैं।

मीन लग्नः दीपावली के दिन पूजा के लिए पहला शुभ मुहूर्त दोपहर 2 बजकर 6 मिनट से 3 बजकर 33 मिनट तक है। यह लग्न विशेषकर व्यापारियों के लिए है। इस लग्न में व्यापारी अपने प्रतिष्ठानों में गणेश-लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सकते हैं। उनकी मूर्ति की स्थापना कर सकते हैं।

दीप प्रज्ज्वलन लग्नः दीप प्रज्ज्वलन लग्न को प्रदोष लग्न कहते हैं। दिवाली के दिन शाम 5.35 बजे से 7.25 तक यह शुभ मुहूर्त है। यह स्थिर लग्न होता है‚ इसमें आप अपने घर में गणेश–लक्ष्मी की पूजा अर्चना कर सकते हैं। उनकी मूÌत की स्थापना कर सकते हैं।

रात्रि पूजा लग्नः रात्रि पूजा लग्न साधकों के लिए होता है‚ जिसमें आप मंत्र सिद्धि करते हैं‚ जाप करते हैं। इस लग्न में पूजा अर्चना की विशेष महत्ता होती है. दिवाली के दिन रात्रि 11.43 बजे से 10.59 तक शुभ मुहूर्त है।

चौघडि़या लग्नः दिवाली के दिन इन तीनों मुहूर्त के बीच एक शुभ मुहूर्त जिसे चौघडि़या शुभ मुहूर्त कहते हैं वह शाम8.56 से रात्रि 10.35 तक रहेगा। इसमें आप पूजा पाठ कर सकते हैं‚ मूÌत स्थापना कर सकते हैं।

पूजा सामग्री विधिः दीपावली में मां लक्ष्मी और विघ्नहर्ता गणेश की आराधना की जाती है। उनकी मूर्ति स्थापना की जाती है। इसका सरल उपाय है। मां लक्ष्मी को गुड़ और धान का लावा बहुत पसंद है। इसी से उनकी पूजा अर्चना की जाती है. साथ ही गाय के घी और कमल के दाने से लक्ष्मी जी के लिए हवन भी किया जाता है। मां लक्ष्मी को कमल बहुत प्रिय है। दीपावली वाले दिन उनको कमल अर्पित किया जाना चाहिए और साथ ही अनार भी अर्पित किया जाना चाहिए‚ इससे धन का लाभ होता है।

धनतेरस 2020: तिथि और शुभ मुहूर्त

प्रदोष काल मुहूर्त – शाम 5 बजकर 28 मिनट से रात 9 बजकर 07 मिनट तक (13 नवम्बर 2020)
वृषभ काल मुहूर्त – शाम5 बजकर 32 मिनट से शाम 7 बजकर 28 मिनट तक॥
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ – रात 9 बजकर 30 मिनट बजे से (12 नवम्बर 2020)॥
त्रयोदशी तिथि समाप्त
– अगले दिन शाम 5 बजकर 59 मिनट तक॥

सहारा न्यूज ब्यूरो


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