दस दिवसीय गणेश उत्सव आज से, घर-घर आज विराजेंगे बप्पा

Last Updated 02 Sep 2019 10:40:26 AM IST

गणेश चतुर्थी हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार है और इसे पूरे देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को श्री गणेश चतुर्थी के नाम से मनाया जाता है।


दस दिवसीय गणेश उत्सव आज से शुरू

गणेश चतुर्थी पूरे देश में मनाई जाती है। गणेश चतुर्थी का त्योहार लगभग दस दिनों तक चलता है। जिस कारण इसे गणेशोत्सव भी कहा जाता है।

गणेशोत्सव अर्थात गणोश चतुर्थी का उत्सव भगवान गणेश के जन्म दिन के उत्सव के रूप में मनाया जाता है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार शुक्ल पक्ष के भाद्रपद को भगवान गणेश का जन्म हुआ था इसलिए हर वर्ष इनके जन्मोत्सव के रूप में गणेश चतुर्थी का त्यौहार मनाया जाता है। भगवान गणेश ऋिद्ध-सिद्धि और सौभाग्य के देवता है। श्रीगणेश पूजा अपने आपमें बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है। चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट मे पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से गणेशजी का उत्सव गणपति प्रतिमा की स्थापना कर उनकी पूजा से आरंभ होता है। लगातार दस दिनों तक घर में रखकर अनंत चतुर्दशी के दिन बप्पा की विदाई की जाती है। इस दिन ढोल नगाड़े बजाते हुए, नाचते गाते हुए गणोश प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जाया जाता है। विसर्जन के साथ ही गणेशोत्सव की समाप्ति होती है।

प्रथम पूज्य श्रीगणेश हमारे अति विशिष्ट, सौम्य और आकर्षक देवता हैं। उनके आगमन के साथ ही पृथ्वी पर चारों तरफ रौनक, रोमांच और रोशनी बिखर जाती है।  इस सुंदर देवता से हर वर्ग, हर उम्र के व्यक्ति का लगाव है। ऐसे मेहमान जो मोहित करते हैं। माना जाता है कि वे मुग्ध करते हैं, मन को भाते हैं, क्योंकि वे आते हैं बिना किसी अपेक्षा के और देकर जाते है। हमारी अपेक्षा से कई-कई गुना ज्यादा। असंख्य आशीर्वाद, अनिगनत शुभता और मांगल्य। स्वागत, वंदन, अभिनंदन की इस बेला में हर दिल से यही निकलता है-
गणपति बप्पा इतनी, कृपा कर दो इस बार,
घर पधारो मेरे, लेकर पूरा परिवार। 

दस दिन तक चलने वाली गणेश चतुर्थी की शुरु आत 2 सितम्बर से होगी, 10वें दिन के बाद अनंत चतुर्दशी के दिन इस उत्सव का समापन होगा। ऐसा माना जाता है कि गणपति जी का जन्म मध्यकाल में हुआ था, इसलिए उनकी स्थापना इसी काल में होनी चाहिए। अगर इस दिन की पूजा सही समय और मुहूर्त पर की जाए तो हर मनोकामना की पूर्ति होती है। राजधानी के प्रमुख बाजारों में रविवार को उत्सव की पूर्व संध्या पर खासी रौनक थी, लोग गणोश जी की छोटी से लेकर विशालकाय प्रतिमाओं की खरीदारी करने में व्यस्त रहे।

मूर्ति स्थापन विधि : गणेश जी की मूर्ति लेने जाएं तो हमेशा नए और साफ सुथरे कपड़े ही पहन कर जाएं। मूर्ति खरीदते समय यह ध्यान दें कि उनकी सूंढ़ बाई ओर मुड़ी हुई हो। बाई ओर मुड़ी हुई सूंढ़ वाली मूर्ति शुभ मानी जाती है।

घर में मूर्ति ला कर उसे चांदी की थाली में स्वास्तिक बनाकर रखें। घर में विराजमान करें तो मंगलगान करें, कीर्तन करें।  इसके बाद रोज सुबह -शाम उनकी आरती करें और मोदक का भोग लगाएं।

पूजन : गणपति को विराजमान करने के लिए पहले कुमकुम से स्वास्तिक बनाएं। चार हल्दी की बिंदी लगाएं। एक मुट्ठी अक्षत् रखें। इस पर छोटा बाजोट, चौकी या पटरा रखें। लाल, केसरिया या पीले वस्त्र को उस पर बिछाएं। रंगोली, फूल, आम के पत्ते और अन्य सामग्री से स्थान को सजाएं। तांबे का कलश पानी भर कर, आम के पत्ते और नारियल के साथ सजाएं। यह तैयारी गणेश उत्सव के पहले कर लें। जब भगवान की प्रतिमा लेने जाएं तो स्वयं नए वस्त्र पहन कर जाएं। प्रतिमा लाने से पहले उसे लाल कपड़े से ढक दें। जब स्थापना करें तो उस कपड़े को हटाना चाहिए। छोटे बच्चे की तरह इस प्रतिमा का ध्यान रखना चाहिए।

ग्रह प्रवेश: घर की ग्रह लक्ष्मी गणोश को लाकर द्वार पर रोकें। स्वयं अंदर आकर पूजा की थाली से उनकी आरती उतारें। उनके लिए सुंदर और शुभ मंत्र बोलें। आदर सहित गजानन को घर के भीतर उनके लिए तैयार स्थान पर जय-जयकार के साथ शुभ मुहूर्त में स्थापित करें। सभी परिजन मिलकर कर्पूर आरती करें। पूरी थाली का भोजन परोस कर भोग लगाएं। लड्डू या मोदक अवश्य बनाएं। पंच मेवा भी रखें। प्रतिदिन प्रसाद के साथ पंच मेवा जरूर रखें।

गणपति बप्पा मोरया : दो से 12 सितम्बर तक पूर्वी दिल्ली के डीडीए मिनी स्टेडियम, बैंक एन्क्लेव लक्ष्मीनगर में श्री गणेश सेवा मंडल सबसे बड़े गणेश महोत्सव में से एक दिल्ली का महाराजा के नाम से मशहूर 18वें गणेश महोत्सव आयोजित कर रहे हैं। मंडल के संस्थापक अध्यक्ष महेंद्र लड्डा ने कहा कि इस वर्ष 18वां गणेशोत्सव में हम 12 फुट का गणेश भगवान की मूर्ति का निर्माण किया है। जो पर्यावरण अनुकूल है। हम किसी भी रसायन का उपयोग नहीं करेंगे, इसे बनाने में हम केवल फाइबर का प्रयोग कर रहे हैं एवं उसमें प्रयोग किया जाने वाला रंग भी पूरी तरह से इको फ्रेंडली है। इस बार गणेश भगवान के हाथों पर जल ही जीवन है का भी एक संदेश होगा। और इस तरह इस बार दिल्ली का महाराजा लोगों को जल ही जीवन है का सन्देश देते नजर आयेंगे। पंडाल त्रिपति बाला जी के रूप में आकार दिया गया है। मंडल के अध्यक्ष सचिन गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष गणेश प्रतिमा की स्थापना विशाल शोभा यात्रा के उपरांत 02 सितम्बर को श्री श्री 1008 संत श्री कृष्णा स्वामी महामंडलेर महाराज करेंगे।

सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली


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