AES: जानें 'चमकी बुखार' क्या है और कैसे बचाएं अपने बच्चों की जान
बिहार में चमकी बुखार से अब तक 108 बच्चों की मौत हो चुकी है। चमकी बुखार को दिमागी और जापानी बुखार के नाम से भी जाना जाता है।
![]() |
चमकी बुखार को डॉक्टरी भाषा में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) कहा जाता है। अब तक उत्तर प्रदेश के गोरखपुर और उसके आस-पास जिलों से दिमागी बुखार से बच्चों की मौत होने के मामले सामने आते थे लेकिन पहली बार बिहार के मुजफ्फरपुर एवं अन्य जिलों में चमकी बुखार ने अपना विकराल रूप दिखाया है। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया के अनुसार कुपोषित बच्चों में एईएस के प्रकोप के जानलेवा हो सकता है। बचाव, रोकथाम ही इसका असरदार इलाज हो सकता है। हालांकि इस बीमारी प्रकोप फिलहाल दिल्ली में नहीं है। कुछ ही राज्यों में इसकी पुनरावृत्ति होती रहती है।
ऐसे फैलता है
इंसेफलाइटिस बैक्टीरिया, फुंगी, परवीजी, रसायन, टॉक्सिन से भी फैलता है।
देश में स्थिति
भारत में एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम की मुख्य वजह जापानी वायरस को माना जाता है। इसके अलावा निपाह और जिका वायरस भी इंसेफलाइटिस की वजह बन सकते हैं।
कारण, लक्षण:
दिमाग में ज्वर होने पर यह बीमारी बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। मस्तिष्क की कोशिकाओं एवं तंत्रिकाओं में सूजन आ जाने पर दिमागी बुखार आता है। मस्तिष्क का ज्वर संक्रामक नहीं होता है लेकिन ज्वर पैदा करने वाला वायरस संक्रामक हो सकता है। एक्यूट इंसेफलाइटिस की मुख्य वजह वायरस माना जाता है। इनमें से कुछ वायरस के नाम हरप्स वायरस, इंट्रोवायरस, वेस्ट नाइल, जापानी इंसेफलाइटिस, इस्टर्न इक्विन वायरस, टिक-बोर्न वायरस हैं।
बच्चों, किशोरों में ज्यादा:
यह बीमारी आम तौर गर्मी एवं उमस के दौरान 0 से 15 साल के बच्चों को अपनी चपेट में लेती है। यह बीमारी ज्यादातर उन बच्चों को अपनी चपेट में लती है जो कुपोषित होते हैं। कई मामलों में इस चमकी बुखार का कारण लीची खाना भी बताया गया है। आयुर्विज्ञान क्षेत्र में इस बीमारी के कारणों का कोई ठोस वजह नहीं है। मेडिकल जनरल में यह रेफरेंस जरूर मिलता है कि चमकी या दिमागी बुखार होने पर बच्चों में सूगर और सोडियम की कमी हो जाती है। इलाज में देरी मृत्यु की वजह हो सकती है।
इलाज:
चमकी बुखार से पीड़ित बच्चों को बिना देर किए अस्पताल पहुंचाना चाहिए। कोशिश होनी चाहिए कि बच्चे का इलाज आईसीयू में हो।
मस्तिष्क में सूजन को फैलने से रोकने के लिए बच्चे की बराबर निगरानी होती रहनी चाहिए। डॉक्टर को बच्चे का ब्लड प्रेशर, हर्ट रेट, श्वास की जांच करते रहना चाहिए।
कुछ इंसेफलाइटिस का इलाज एंटीवायरल ड्रग्स से किया जा सकता है।
बच्चों के शरीर में पानी की कमी न होने दें उन्हें ओआरएस का घोल पिलाते रहें।
तेज बुखार होने पर पूरे शरीर को ताजे पानी से पोछें।
बेहोशी आने पर बच्चों को हवादार जगह पर ले जाएं।
| Tweet![]() |