पीलिया में लापरवाही खतरनाक, रखें इन बातों का ध्यान...

Last Updated 09 May 2019 12:51:23 PM IST

गर्मी शुरू होते ही पीलिया के मरीजों की संख्या बढ़ने लगती है। इसकी मुख्य वजह दूषित पानी और संक्रमित भोजन है।


प्रतिकात्मक फोटो

पीलिया सामान्यत: लीवर में संक्रमण की वजह से होता है। लीवर के संक्रमण से शरीर  में बिलरु बिन की मात्रा ज्यादा बनने लगती है, जिसकी वजह से शरीर और आंखें पीली होने लगती हैं। पेशाब भी पीला होता है।

इसकी वजह यह है कि बिलरु बिन हमारी त्वचा और आंखों के कंजक्वाइवा में इकठ्ठा होता है। अगर पीलिया के शुरू में इलाज में दौरान थोड़ी सी लापरवाही होती है तो इसका असर दिमाग तक होता है, जिसे हम हिपैटिक एनिसफैलापैथी कहते हैं। वायरल हेपेटाइटिस की वजह से होने वाले पीलिया के मामले इस समय आम हैं और लोग इसे सामान्य पीलिया समझने की भूल कर बैठते हैं। ऐसे में जहां मरीज की थोड़ी सी लापरवाही से उसकी जान पर बन आती है, वहीं जानकारी के अभाव में वह अन्य लोगों को भी संक्रमित कर देता है।

क्या है कारण ? वायरल हेपेटाइटिस जनित पीलिया के लिए जिम्मेदार दूषित पानी और संक्रमित खाना है। गर्मिंयों में पीलिया के तेजी से फैलने की वजह इस मौसम में बनी रहने वाली आद्र्रता है। इस मौसम में इसके वायरस तेजी से बढ़ते हैं, जिससे संक्रमण की संभावना और बढ़ जाती है। इसके अलावा अल्कोहल और दवाओं के रिएक्शन से भी पीलिया होता है लेकिन गर्मिंयों में पीलिया होने की मुख्य वजह हेपेटाइटिस-ए और हेपेटाइटिस-ई वायरस हैं।

संक्रमित होने पर क्या करें

  • ज्यादा से ज्यादा आराम करें।
  • बिना डाक्टर की सलाह के दवा न लें, इससे लीवर पर बुरा असर पड़ सकता है।
  • शराब न पियें। यह लीवर को नुकसान पहुंचाता है।
  • धूम्रपान न करें, अगर कोई पास में धूम्रपान करता है तो उससे दूर रहें।


कैसे करें बचाव

  • साफ पानी पिएं।
  • हमेशा ताजा खाना खाएं।
  • दूसरों का जूठा न खाएं। यह बीमारी दूसरे को भी संक्रमित करती है।
  • साफ-सफाई पर ध्यान दें।
  • कोई समस्या हो तो तुरंत डाक्टर से संपर्क करें।


लक्षण

  • शरीर और आंख का पीला हो जाना।
  • पेशाब पीला होना।
  • भूख न लगना।
  • खाना न पचना, बार-बार उल्टियां आना।
  • पेट में दर्द होना।
  • बदन में दर्द, कमजोरी व थकान।
  • बुखार और सिरदर्द
  • त्वचा में खुजली


ऐसे रोकें

  • मरीज के संपर्क में आने के बाद साबुन से हाथ धोयें। खून, मूत्र और लार के संपर्क में आने के बाद सावधानी और बढ़ा दें।
  • संक्रमित व्यक्ति दूसरे के लिए खाना न बनाये और परोसे भी नहीं। उसके जूठन को भी फेंक दें।
  • मरीज के खाने में प्रयुक्त बर्तनों को गर्म और साबुन वाले पानी से धोयें।
  • पीड़ित व्यक्ति के पकड़े, बिछावन और तौलिये को अलग से साफ करें।
  • वायरल हेपेटाइटिस जनित पीलिया से ग्रसित व्यक्ति  किसी से सेक्स, संपर्क या चुंबन न करें, जब तक कि डॉक्टर यह न कह दें कि वह ठीक हो गया है।
  • अब हेपेटाइटिस-ए का टीका भी बाजार में मिलता है। पहले ही टीकाकरण करा लेना चाहिए।


इलाज
पीलिया की मुख्यत : दो प्रकार से जांच होती है, एक हेपेटाइटिस-ए और दूसरी हेपेटाइटिस-ई की जांच। एलाइजा टेस्ट कराया जाता है, जिसमें शरीर में विलरु बिन की मात्रा देखी जाती है। दूसरी जांच लीवर फक्शन टेस्ट (एलएफटी) कहलाती है, इसमें लीवर की स्थिति की जांच की जाती है। पीलिया का इलाज मरीज के लक्षण देखकर किया जाता है।

सहारा इंडिया परिवार के वरिष्ठ सलाहकार अनिल विक्रम सिंह ने बताया कि सहारा हॉस्पिटल में सभी रोगों का इलाज अति अनुभवी चिकित्सकों द्वारा उपलब्ध है । माननीय सहाराश्री जी के सभी को बेहतर स्वास्थ्य देने की संकल्पना को निरंतर परिपूर्ण कर सहारा हॉस्पिटल तत्पर होकर अपनी सेवाएं दे रहा है।
 

 

सहारा न्यूज ब्यूरो


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