जानें हाइपरटेंशन के आसान आयुर्वेदिक उपचार, जल्द मिलेगा आराम

Last Updated 18 Dec 2018 04:31:16 PM IST

हाईपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर रोगी के शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, जिससे वह कार्य करना बंद कर सकते हैं।


हाइपरटेंशन के आसान आयुर्वेदिक उपचार (फाइल फोटो)

अनियमित और असंयमित खान-पान के साथ पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थ हमारे भोजन की थाली से दूर हो गये हैं। मोटापा भी आज बड़ी समस्या बन गया है। यही सब कारण जन्म देते हैं हाईपरटेंशन यानि उच्च रक्तचाप को। जिसे मूक हत्यारा (साइलेंट किलर) भी कहा जाता है। गंभीर बात है कि आज बड़ी संख्या में युवा भी हाईपरटेंशन का शिकार हो रहे हैं। हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज जैसी समस्याओं का शिकार होने वालों में युवा भी शामिल हैं, जो इस बीमारी के बढ़ते दुष्प्रभाव और गंभीरता को दर्शाते हैं। हाईपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर रोगी के शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, जिससे वह कार्य करना बंद कर सकते हैं। हाईपरटेंशन से बचाव करने के लिये या इसका रोगी होने के बाद अपनी भोजन शैली में बदलाव करना बेहद जरूरी है। फास्ट-जंक फूड, अल्कोहल, धूम्रपान आदि से परहेज करते हुए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये। आइए मोहम्मद यूसुफ एन शेख से जानते है आयुर्वेद में हाइपरटेंशन से बचने के कौन-कोन से उपचार बताए गए हैं...
मोहम्मद यूसुफ एन शेख से जानते है आयुर्वेद में हाइपरटेंशन से बचने के उपचार बता रहें है

कुदरती आयुर्वेद :आधुनिक जीवनशैली जिसमें फास्ट-जंक फूड का सेवन या तनाव दूर करने के लिये अल्कोहल, धूम्रपान और अनेक प्रकार का नशा करना आम बात हो गयी है। काम की अधिकता के चलते व्यायाम कर पाने का समय निकालना मुश्किल हो गया है। अनियमित और असंयमित खान-पान के साथ पोषक तत्वों से युक्त खाद्य पदार्थ हमारी भोजन की थाली से दूर हो गये हैं। मोटापा भी आज बड़ी समस्या बन गया है। यह सब कारण जन्म देते हैं हाईपरटेंशन यानि उच्च रक्तचाप को। जिसे मूक हत्यारा (साइलेंट किलर) भी कहा जाता है। गंभीर बात है कि आज बड़ी संख्या में  युवा भी हाईपरटेंशन का शिकार हो रहे हैं। हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज जैसी समस्याओं का शिकार होने वालों में युवा भी शामिल हैं, जो इस बीमारी के बढ़ते दुष्प्रभाव और गंभीरता को दर्शाते हैं।



उपचार: साइलेंट किलर  यानी हाईपरटेंशन के किसी भी लक्षण को नजरअंदाज न करें और ब्लड प्रेशर की नियमित तौर पर जांच करायें। इस रोग का मरीज बन जाने के बाद नियमित उपचार करना आवश्यक है। देखा गया है कि हाईपरटेंशन का शिकार मरीज कुछ समय तक तो अपना उपचार कराते हैं लेकिन थोड़ी राहत मिलने के बाद खुद को ठीक हो गया, मान कर इलाज छोड़ देते हैं। नतीजा होता है, साइलेंट किलर धीरे-धीरे शरीर के अंगों को प्रभावित करने लगता है। हाईपरटेंशन का सबसे अधिक दुष्प्रभाव हृदय पर होता है। रक्त को पंप करते समय हृदय पर अधिक दबाव पड़ने लगता है। जिससे मरीज को हार्ट अटैक होने की संभावना बन जाती है। वहीं हाईपरटेंशन होने पर मरीज की रक्त प्रवाही धमनियां सख्त व सिकुड़ने लगती हैं, जिससे शरीर के अन्य अंगों तक पर्याप्त मात्रा में रक्त का संचरण नहीं हो पाता। ऐसे में शरीर के अंग अपनी क्षमता के अनुसार कार्य नहीं कर पाते। कई बार तो कार्य करना पूरी तरह से बंद कर देते हैं। वहीं रक्त संचरण उचित प्रकार से न हो पाने पर दिमाग भी प्रभावित होता है और ब्रेन हैमरेज तक हो सकता है। हाईपरटेंशन के कारण मरीज का गला और कान भी प्रभावित हो सकते हैं।


 

लक्षण व गंभीरता : उच्च रक्तचाप यानी हाई ब्लड प्रेशर का शिकार व्यक्ति को अक्सर चक्कर आने और सिर घूमने की शिकायत रहती है। धीरे-धीरे रोगी को रात में नींद नहीं आती और शारीरिक श्रम करने की क्षमता कम होने लगती है। काम करते हुए जल्द थकान होना या सांस फूलने जैसी समस्याएं सामने आने लगती हैं। यदि हाईपरटेंशन का उचित उपचार न कराया जाए तो रोगी को हार्ट अटैक, ब्रेन हैमरेज और दिल के विभिन्न रोग होने की संभावना बन जाती है। वहीं लंबे समय तक हाईपरटेंशन का उपचार न कराये जाने पर किडनी कार्य करना बंद कर देती हैं, जिससे शरीर में रक्त का निर्माण होना बंद हो सकता है। हाईपरटेंशन यानी हाई ब्लड प्रेशर रोगी के शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है, जिससे वह कार्य करना बंद कर सकते हैं।
 

आयुर्वेद उपचार: अंग्रेजी दवाओं से किये जाने वाले उपचार यानी एलोपैथी में हाई ब्लड प्रेशर का उपचार करने वाली सैंकड़ों दवाएं मौजूद हैं। मगर इन दवाओं का सेवन से शरीर पर दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) होता हैं, जिससे शरीर के अन्य अंगों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है। वहीं महंगी भी होती हैं ये दवाएं। भारत की प्राचीनतम चिकित्सा पद्धति आयुर्वेद के जरिये उपचार करना बेहतर है। आयुर्वेदिक दवाओं का निर्माण लाभकारी जड़ी-बूटियों से किया जाता है, जो शरीर पर किसी भी प्रकार का दुष्प्रभाव नहीं डालती। आयुर्वेदिक औषधियां रक्तचाप को नियंतण्रमें रखती हैं, तनाव को दूर करने के साथ हमारे लिवर, किडनी, हार्ट और आंखों की क्षमता में भी वृद्धि करती हैं। वहीं एलोपैथी के मुकाबले आयुर्वेदिक उपचार किफायती भी होता है। खान-पान में परहेज, नियमित व्यायाम और संयमित जीवन शैली करें। अनुभवी आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श लेें।

खान-पान में बदलाव और नियमित व्यायाम: हाईपरटेंशन से बचाव करने के लिये या इसका रोगी होने के बाद अपनी भोजन शैली में बदलाव करना बेहद जरूरी है। फास्ट-जंक फूड, अल्कोहल, धूम्रपान आदि से परहेज करते हुए पोषक तत्वों से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिये।

आयुर्वेद के अनुसार चुकंदर, आंवला, लाल और काला अंगूर, गाजर, पालक, मूली, अदरक, लहसुन, तुलसी व नीम के पत्तियां, नींबू का रस, काली मिर्च, दालचीनी, अलसी, इलायची, सौंफ, जीरा, चोकरयुक्त आटा, ब्राउन राइस,  तिल और चावल की भूसी, पपीते का नियमित सेवन करने से ब्लड प्रेशर नियंत्रित रहता है।

वहीं हाईपरटेंशन के मरीज को नमक का सेवन कम से कम करना चाहिये। हाईपरटेंशन के मरीज के लिये सेंधा नमक का सेवन करना बेहतर रहता है। अक्सर व्यायाम करने से परहेज करते हैं।

हाईपरटेंशन की गंभीरता को नजरअंदाज करने से यदि कोई अन्य गंभीर रोग शरीर पर हावी हो जाएगी। नियमित तौर पर व्यायाम करें। योगाभ्यास करें।

 



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