‘गुड मॉर्निंग’ के मैसेज खा रहे भारत में स्मार्टफोन की मेमोरी

Last Updated 24 Jan 2018 11:40:33 AM IST

भारत में गुड मॉर्निंग के मैसेज इतने अधिक भेजे जा रहे हैं कि हर तीन में से एक स्मार्टफोन हर दिन ऑउट ऑफ स्पेस हो जा रहा है.


‘गुड मॉर्निंग’ के संदेश खा रहे भारत में स्मार्टफोन की मेमोरी

नया-नया इंटरनेट सीखे हम भारतीयों ने व्हाट्सएप, फेसबुक और अन्य माध्यमों से जब संवाद करना शुरु किया तो सबसे ज्यादा संदेश ‘शुभ प्रभात’, ‘गुड मॉर्निंग’  इत्यादि के भेजने शुरु किए. लेकिन हमने कभी गौर नहीं किया कि यह संदेश हमारे स्मार्टफोन की मेमोरी को खा जाते हैं और उनमें नए संदेश इत्यादि के लिए जगह कम पड जाती है.

यह जानकारी एक मीडिया रपट के माध्यम से सामने आयी है. वाल स्ट्रीट जर्नल की रपट के अनुसार गूगल ने इस समस्या की खोज की और पडताल करने पर उसने पाया भारत में करोडों लोग पहली बार इंटरनेट का उपयोग करना सीख रहे हैं और अपने शुरुआती संदेशों में वह सबसे ज्यादा ‘गुड मॉर्निंग’ इत्यादि तरह तरह के संदेश भेजते हैं जिनमें सूरजमुखी के फूल, सूर्योदय, मासूम बच्चे, पक्षियों और सूर्यास्त की तस्वीरें साझा करते हैं.



रपट के अनुसार पिछले पांच सालों में गूगल पर ‘गुड मॉर्निंग’ से जुडी तस्वीरें खोजने की संख्या में 10 गुना वृद्धि हुई है.

इस समस्या से निजात पाने के लिए फेसबुक और व्हाट्सएप ने भी पिछले साल ‘स्टेटस’ की सुविधा शुरु की थी ताकि लोग अपने सभी संपर्क को एक ही बार में ‘गुड मॉर्निंग’ बोल सकें. यह संदेश 24 घंटे बाद स्वत: मिट भी जाता है.

उल्लेखनीय है कि यह दोनों एप इस तरह के संदेशों के लिए सबसे ज्यादा उपयोग की जाती हैं और भारत में इनके 20 करोड मासिक सक्रिय उपयोक्ता है.

भाषा


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