प्रसव के बाद न भूलें रखना अपना ध्यान

Last Updated 04 Aug 2017 03:25:53 PM IST

हर औरत के लिए मां बनना कुदरत का एक खुशनुमा अहसास है. लेकिन इस प्यारी सी खुशी में हम इतना खो जाते हैं कि पोस्ट डिलीवरी बाद अपना ध्यान रखना ही भूल जाते हैं


प्रसव के बाद न भूलें रखना अपना ध्यान

ये सुखद अनुभव आपके जीवन में सुख ही सुख भर देता है लेकिन इस प्यारी सी खुशी में हम इतना खो जाते हैं कि पोस्ट डिलीवरी बाद अपना ध्यान रखना ही भूल जाते हैं या फिर गलत तरीके से अपना रखरखाव करते हैं. नतीजा ये होता है कि हम कई मुसीबतों को दावत दे बैठते हैं. ऐसे में जरूरी ये है कि हम प्रसव के बाद सही जानकारी के साथ अपने पर ध्यान दें ताकि जीवन में आई खुशियां चौगुनी हो जाएं.समय न्यूज चैनल के कार्यक्रम 'जियो हेल्दी' में रेनू मिश्रा (आईवीएफ हेड, सीताराम भरतिया अस्पताल) ने इस संबंध में दिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स...

ध्यान देने योग्य बातें

  • प्रसव के बाद जरूरी है कि आप आराम करें लेकिन इतना आराम भी न करें कि आप परेशानी में पड़ जाएं. कुछ महिलाएं डिलीवरी के बाद बेड से उठती ही नहीं नतीजतन पैरों में ब्लड क्लॉट जैसी समस्याएं हो जाती हैं जो आपके लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
  • हमारे देश में जच्चा के खान-पान को लेकर बहुत भ्रांतियां हैं जैसे जच्चा को घी और मेवा ही खाने चाहिए और सादा खाने से परहेज रखना चाहिए जबकि ऐसा करना कतई सही नहीं है. एक सीमित मात्रा में घी और मेवा खाने में कोई हर्ज नहीं क्योंकि स्तनपान के लिए नई मां को कैलोरी की आवश्यकता है लेकिन इसके साथ दा भोजन यानि साग-सब्जियां, दालें, फल सभी जच्चा के भोजन में शामिल करना आवश्यक है.
  • व्यायाम को लेकर भी ऐसा मानना जाता है कि जच्चा को व्यायाम नहीं करना चाहिए जबकि स्थिति इससे उलट है. नौ महीने बच्चे को पेट में रखने के कारण डिलीवरी के बाद पेट की मांसपेशियां एकदम शिथिल पड़ चुकी होती हैं कि उन्हें वापस मजबूत करने के लिए एक हफ्ते बाद ही डॉक्टर हल्की एक्साइज करने की सलाह देते हैं जबकि डेढ़ माह के बाद व्यायाम को बढ़ाया जा सकता है.
  • वहीं इस वक्त कॉन्ट्रासेप्शन यानि गर्भनिरोधक का इस्तेमाल किया जाना बेहद जरूरी है क्योंकि कई बार देखा गया है महिलाएं डिलीवरी के बाद इस ओर ध्यान नहीं देती हैं और तीन से चार माह के भीतर ही फिर से गर्भधारण कर लेती हैं जो उनकी सेहत के लिए घातक होता है. इस तरह की समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि जब प्रसव के बाद डॉक्टर से चेकअप कराने जाएं तभी इस बाबत चर्चा कर लें और गर्भनिरोध का कोई भी तरीका चुन लें.
  • इसके अलावा बच्चे को छह माह तक सिर्फ स्तनपान कराके भी महिलाएं गर्भधारण से बच सकती हैं क्योंकि इसे ‘नेचुरल कॉन्ट्रासेप्शन’ कहा जाता है.
  • छह माह तक बच्चे को सिर्फ  मां के दूध देने को ‘एक्लूसिव ब्रेस्ट फीडिंग’ कहा जाता है, जो मां और बच्चे दोनों के लिए बेहद लाभकारी होता है.
  • वहीं ‘एक्लूसिव ब्रेस्ट फीडिंग’ से आगे चलकर ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी कम होता है.
  • तो सिर्फ  प्रेग्नेंसी में ही नहीं पोस्ट डिलीवरी में भी अपना ख्याल रखें तभी मां और बच्चा स्वस्थ रहेंगे और परिवार खुशहाल रहेगा.

समय लाइव डेस्क


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