डायबिटीज है साइलेंट किलर, बच्चों पर भी असर
डायबिटीज (मधुमेह) यानि आम भाषा में शुगर की बीमारी. पहले इसे बढ़ती उम्र की बीमारी माना जाता था लेकिन अब ये बच्चों में भी पैर पसारने लगी है.
फाइल फोटो |
भारत डायबिटीज कैपिटल बनने की ओर अग्रसर है और हो सकता आने वाले कुछ सालों में ऐसा हो भी जाए. आजकल बच्चों में भी डायबिटीज होने के मामले प्रकाश में आ रहे हैं. यहां तक कि बच्चों को इंसुलिन देने तक की नौबत आ जाती है.
बच्चों में होने वाली डायबिटीज को जुवेनाइल डायबिटीज का नाम दिया गया है. ऐसे बच्चों का पैनक्रियास ठीक से काम नहीं करता और पैनक्रियास से इंसुलिन कम हो जाता है जिसके कारण बच्चे में शुगर लेवल बढ़ने लगता है.
आमतौर पर बच्चों में टाइप वन डायबिटीज होती है. डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो एक साइलेंट किलर की तरह काम करती है. साइलेंट इसलिए क्योंकि इसके लक्षण आसानी से पता नहीं लगते लेकिन ये बीमारी धीरे-धीरे शरीर को खोखला कर देती है. समय न्यूज चैनल के कार्यक्रम 'जियो हेल्दी' में डॉ. रवि मलिक, बाल रोग विशेषज्ञ ने इस संबंध में दिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स...
क्यों होती है बच्चों में डायबिटीज
- बच्चों में डायबिटीज होने का एक बड़ा और मुख्य कारण है आनुवांशिकता. अगर आपकी फैमिली में डायबिटीज की हिस्ट्री है तो बच्चों में इसके होने का खतरा बढ़ जाता है.
- डायबिटीज होने का दूसरा बड़ा कारण आजकल बच्चों में बढ़ता मोटापा यानि ओबेसिटी भी है.
- इसके साथ ही आपका लाइफस्टाइल भी इस बीमारी को पनपाने में बड़ा रोल अदा करता है.
- वहीं स्वास्थ्य के प्रति लोगों में जागरूकता की कमी भी उन्हें इस बीमारी की ओर धकेल रही है.
इसे समझें खतरे की घंटी
- वैसे तो इस बीमारी के खास लक्षण नहीं हैं लेकिन कुछ ऐसे इशारे हैं जिन्हें आपको खतरे की घंटी समझना चाहिए. जैसे अचानक आपको रात में ज्यादा पेशाब जाने की जरूरत महसूस होने लगे.
- अगर ब्लड शुगर चेक करने पर आपकी फास्टिंग 100 से ज्यादा और पीपी 160 से ज्यादा आए तो मान लीजिए डायबिटीज का खतरा आपके सिर पर मंडरा रहा है.
- वहीं अगर ब्लड शुगर फास्टिंग लेवल 126 से ऊपर चला जाता है तो जान लीजिए आप इस बीमारी के शिकंजे में फंस चुके हैं.
- जिन लोगों की फास्टिंग शुगर 100 या उसके आसपास ही आ रही है तो उन्हें इम्पेर्यड फास्टिंग शुगर का केस कहा जाता है यानि आने वाले दो से तीन सालमें आप भी इस गंभीर बीमारी की चपेट में आने वाले हैं.
कैसे करें डायबिटीज की रोकथाम
- अपने वजन को नियंत्रित रखें. मोटापे को अपने पास न फटकने दें.
- फिजिकल एक्टिविटी को अपने जीवन का अंग बनाएं साथ ही रोज की सैर करना ना भूलें.
- लाइफस्टाइल को संयमित रखें.
- खाने में पौष्टिक आहार लें. ज्यादा से ज्यादा सलाद और फलों का सेवन करें.
- स्क्रीन टाइम को कम करें यानि टीवी, कंप्यूटर के आगे कम बैठें.
- अपनी बुरी आदतों को बाय-बाय कर दें जैसे टीवी के आगे बैठकर खाना, बेड पर खाना इत्यादि.
- याद रखें डायबिटीज एक जीवनशैली से जुड़ी बीमारी है. लिहाजा जीवनशैली में सुधार करके आप इस गंभीर रोग से दूर रह सकते हैं और अपने बच्चों को भी इससे बचा सकते हैं.
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