बच्चों का टीकाकरण: बचाव की गारंटी

Last Updated 01 Aug 2017 03:29:42 PM IST

बच्चे तो बढ़ती पौध की तरह हैं. जैसे पौधे की बढ़त के लिए खाद-पानी और देखभाल जरूरी है वैसे ही बच्चों की अच्छी सेहत के लिए उचित देखभाल और खान-पान के साथ टीकाकरण (वैक्सिनेशन) भी अनिवार्य है.


फाइल फोटो

यदि आप टीकाकरण के प्रति सजग नहीं हैं तो आप अपने बच्चे की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. टीकाकरण कई तरीके का होता है. एक होता है ‘प्राइमरी वैक्सिनेशन’ दूसरा होता है ‘ऑप्शनल वैक्सिनेशन’. इसके अलावा तीसरा है ‘स्पेसिफिक वैक्सिनेशन’. अगर आपके घर में कोई नन्हा-मुन्हा खेल रहा है या आने वाला है तो इन टीकाकरण के बारे में जानना आपके लिए बेहद जरूरी है. समय न्यूज चैनल के कार्यक्रम 'जियो हेल्दी' में डॉ. रवि मलिक, बाल रोग विशेषज्ञ ने इस संबंध में दिए कुछ महत्वपूर्ण टिप्स...

टीकों के बारे में कुछ खास जानकारियां
 

  • बच्चों के स्वस्थ विकास और बीमारियों से बचाव के लिए टीकाकरण बेहद जरूरी है. कुछ टीके ऐसे हैं जो बच्चों को लगवाना अनिवार्य होता है. ऐसे टीकों को ‘प्राइमरी वैक्सिनेशन’ कहा जाता है.
  • लगभग आठ से 10 गंभीर बीमारियां होती हैं जिनके बचाव के लिए ये ‘प्राइमरी वैक्सीनेशन’ दिया जाता है. जैसे बीसीजी, डीपीटी, पोलियो, हेपेटाईटिस बी, खसरा (मिजिल्स), कनफेड़ (मम्प्स), रूबेला इत्यादि.
  • इसके अलावा कई बीमारियों के बूस्टर भी लगाए जाते हैं यानि उम्र बढ़ने के साथ टीके के असर को बनाए रखने के लिए कई रोगों से बचाव के बूस्टर भी लगाए जाते हैं.
  • आपको बता दें कि आजकल कुछ ‘ऑप्शनल वैक्सीन’ भी लगाए जाते हैं जो कई अन्य बीमारियों से बचाव करते हैं जैसे की फ्लू, न्यूमोकोकल (निमोनिया से बचाव के लिए), टाइफाइड, मैनिंजाइटिस (मस्तिष्क ज्वर) इत्यादि.

  • ‘ऑप्शनल वैक्सीन’ को आपके बच्चे की क्लीनिकल कन्डीशन, उम्र और भी कई चीजों को मद्देनजर रखकर चिकित्सक लगाने की सलाह देते हैं.
  • साथ ही कुछ स्पेसिफिक वैक्सीन भी होती हैं यानि जिसकी जरूरत किसी-किसी बच्चे को होती है. इस तरह के टीकों को लगाने की सलाह डॉक्टर आपके बच्चे के हाल को देखकर ही देता है.
  • अमूमन बच्चे के जन्म से लेकर 12 से 18 साल का होने तक टीकाकरण के चरण चलते रहते हैं.
  • जान लीजिए ऐसा सिर्फ  भ्रम है कि टीके सिर्फ बच्चों को ही लगाए जाते हैं. कुछ वैक्सिनेशन बड़ों के लिए भी होती हैं जैसे हेपेटाईटिस बी, स्वाइन फ्लू वैक्सीन, न्यूमोकोकल, टाइफाइड वैक्सीन और टिटनेस की वैक्सीन बड़ों के लिए भी उतनी ही जरूरी है जितनी बच्चों के लिए.


 

बच्चों को सेहतमंद रखने के टिप्स

  • बच्चे को छह माह तक सिर्फ  मां का दूध ही दें. पानी या कोई भी ऊपरी खाने-पीने की चीज न दें. इससे बच्चे की प्रतिरोधक क्षमता तो बढ़ती ही है साथ ही उसका पानी से पैदा होने वाले रोगों से भी बचाव होता है.
  • बच्चे को अच्छा खान-पान दीजिए. उसकी हाइजीन का खास ख्याल रखिए. ध्यान रखें बच्चे को हमेशा स्वच्छ उबाला हुआ फिल्टर वॉटर ही दें.
  • हमेशा पाश्चराइज्ड दूध ही पिलाएं, सीधा गाय या भैंस से निकाला दूध कभी न दें.
  • बच्चों को हमेशा ताजा पका खाना ही खिलाएं.
  • बच्चे को मच्छर-मक्खियों से बचा कर रखें.

प्रस्तुति : पूजा चौबे
 

 

समयलाइव डेस्क


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