UN में भारत ने गेहूं निर्यात प्रतिबंध का बचाव किया, कहा- अनाज का बंटवारा कोविड-19 टीकों की तरह नहीं होना चाहिए

Last Updated 19 May 2022 12:18:20 PM IST

भारत ने अनाज की कीमतों में ‘‘अनुचित वृद्धि’’ के बीच उसकी जमाखोरी और वितरण में भेदभाव पर चिंता व्यक्त करते हुए बुधवार को पश्चिमी देशों से आह्वान किया कि अनाज का बंटवारा कोविड-19 रोधी टीकों की तरह नहीं होना चाहिए।


उसने कहा कि गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के उसके फैसले से यह सुनिश्चित होगा कि वह जरूरतमंद लोगों की जरूरतों को पूरा कर सकता है।

विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने बुधवार को यहां कहा, ‘‘कम आय वाले विभिन्न वर्ग आज अनाज की बढ़ती कीमतों और उनकी पहुंच तक मुश्किल की दोहरी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। यहां तक कि पर्याप्त भंडार वाले भारत जैसे देशों ने खाद्यान्न में अनुचित वृद्धि देखी है। यह साफ है कि जमाखोरी की जा रही है। हम इसे ऐसे ही चलने नहीं दे सकते।’’

मुरलीधरन ‘ग्लोबल फूड सिक्योरिटी कॉल टू एक्शन’ पर मंत्री स्तरीय बैठक में बोल रहे थे, जिसकी अध्यक्षता अमेरिका के विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने की।

यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब भारत ने गत शुक्रवार को झुलसाने वाली गर्मी के कारण गेहूं की कमी के बीच बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने की कवायद में गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का फैसला किया।

इस फैसले का मकसद गेहूं और गेहूं के आटे की खुदरा कीमतों को काबू में करना है, जो पिछले एक साल में औसतन 14 से 20 फीसदी तक बढ़ गयी है। साथ ही इसका उद्देश्य पड़ोसी और कमजोर देशों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करना है। विदेशी व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने पिछले सप्ताह एक अधिसूचना में कहा कि केंद्र सरकार की अनुमति के आधार पर गेहूं के निर्यात को मंजूरी दी जाएगी।

भारत ने उच्च स्तरीय बैठक में संयुक्त राष्ट्र में पहली बार गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध के मुद्दे पर अपनी बात रखी। मुरलीधरन ने कहा कि भारत सरकार गेहूं की वैश्विक कीमतों में अचानक आयी वृद्धि को स्वीकार करती है, जिससे ‘‘हमारी और हमारे पड़ोसियों तथा अन्य कमजोर देशों की खाद्य सुरक्षा खतरे में पड़ गयी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमारी अपनी खाद्य सुरक्षा से निपटने तथा पड़ोसी और अन्य कमजोर विकासशील देशों की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए, हमने 13 मई 2022 को गेहूं के निर्यात के संबंध में कुछ उपायों की घोषणा की।’’

भारत ने पश्चिमी देशों से आह्वान किया और उन्हें आगाह किया कि अनाज का मुद्दा कोविड-19 रोधी टीकों की तरह नहीं होना चाहिए। अमीर देशों ने भारी संख्या में कोविड रोधी टीके खरीद लिए, जिसकी वजह से गरीब तथा कम विकासशील देश अपनी आबादी को पहली खुराक देने में भी जूझते नजर आए।

मुरलीधरन ने कहा, ‘‘हमने हजारों मीट्रिक टन गेहूं, आटा और दालों के रूप में हमारे पड़ोसियों और अफ्रीका समेत कई देशों को खाद्य मदद दी है ताकि उनकी खाद्य सुरक्षा मजबूत की जा सके।’’

उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में बिगड़ते मानवीय हालात के मद्देनजर भारत उसके लोगों को 50,000 मीट्रिक टन गेहूं दान कर रहा है। उन्होंने कहा, ‘‘हम श्रीलंका को भी मुश्किल दौर में खाद्य सहायता समेत और मदद दे रहे हैं।’’

भाषा
संयुक्त राष्ट्र


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment