अब वायरस के संग ही जिन्दगी गुजारेगा यूरोप

Last Updated 21 Jan 2022 04:30:26 AM IST

जब कोरोना वायरस महामारी की घोषणा की गई थी तब स्पेनवासियों को तीन महीनों से अधिक समय तक घरों में रहने का आदेश दिया गया था।


अब वायरस के संग ही जिन्दगी गुजारेगा यूरोप

कई सप्ताह तक उन्हें व्यायाम के लिए भी बाहर नहीं निकलने दिया गया। बच्चों के खेल के मैदानों में जाने पर रोक थी और अर्थव्यवस्था एक तरह से थम सी गई थी।

अधिकारियों का कहना है कि इन कठोर उपायों से ही स्वास्थ्य तंत्र को चरमराने से बचाया जा सका और लोगों की जिंदगी बची। अब करीब दो साल बाद स्पेन कोविड-19 के प्रति भिन्न दृष्टिकोण अपनाने की तैयारी कर रहा है।

इस महामारी के चलते स्पेन की अर्थव्यवस्था तबाह हो गई लेकिन अब वह यूरोप में सर्वाधिक टीकाकरण दरों वाले देशों में एक है। ऐसे में सरकार संक्रमण की अगली लहर को आपात स्थिति की भांति नहीं बल्कि बनी रहने वाली एक बीमारी के रूप में निपटने की तैयारी में जुटी है। ऐसे ही कदमों पर पड़ोसी देशों पुतर्गाल एवं ब्रिटेन में भी विचार किया जा रहा है।

अब इन देशों में संकट से नियंत्रण के तौर-तरीकों की ओर बढ़ने का विचार सामने आया है, अब वे इस वायरस को उसी रूप में लेने के बारे में सोच रहे हैं जिस रूप में देश फ्लू या खसरे को लेते हैं। इसका तात्पर्य है कि वे अब मानने लगे हैं कि संक्रमण रहेगा लेकिन अधिक जोखिम वाले लोगों पर विशेष ध्यान दिया जाए।

स्पेन के प्रधानमंत्री प्रेडो सांचेज चाहते हैं कि यूरोपीय संघ भी ऐसे ही बदलावों पर गौर करे कि ओमीक्रोन स्वरूप की लहर से पता चल गया है कि यह बीमारी अब कम घातक होने लगी है। उन्होंने कहा, ‘दरअसल हम कह रहे हैं कि अगले कुछ महीनों और सालों में, हमें बिना किसी संकोच के और विज्ञान जो कहता है, उसके हिसाब से, विचार करना होगा कि कैसे इस महामारी का अलग मानपंड से प्रबंधन करना है।’

उन्होंने कहा कि ओमीक्रोन लहर के बीत जाने से पहले ऐसे बदलाव नहीं होने चाहिए लेकिन अधिकारियों को अब महामारी के बाद की दुनिया को आकार प्रदान करने की दिशा में काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘परिदृश्य का अनुमान लगाकर हम अपना होमवर्क कर रहे हैं।’

एपी
मैड्रिड


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