अमेरिका : राष्ट्रपति कोई बने, भारत से संबंध रहेंगे मजबूत

Last Updated 04 Nov 2020 04:01:08 AM IST

अमेरिका में मंगलवार को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव के परिणाम चाहे जो भी हों, भारत के साथ अमेरिका के रणनीतिक संबंधों की वर्तमान गति बरकरार रहने की उम्मीद है।


अमेरिका : राष्ट्रपति कोई बने, भारत से संबंध रहेंगे मजबूत

यह संकेत नीतिगत दस्तावेजों और राष्ट्रपति पद के लिए दोनों प्रत्याशियों के प्रचार के दौरान की गई टिप्पणियों से मिलता है।
डोनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति के तौर पर अपने पहले कार्यकाल में व्हाइट हाउस में भारत के सबसे अच्छे दोस्त के रूप में उभरे और इस संबंध को एक नए स्तर पर ले गए। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ ट्रंप की मित्रता जगजाहिर है। दोनों नेताओं की यह मित्रता उन रैलियों में परिलक्षित हुई, जिन्हें उन्होंने एक वर्ष से कम समय में अमेरिका और भारत में संबोधित किया। ट्रंप ने मोदी के साथ बने संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा था कि उन्हें ‘भारत का अच्छा समर्थन’ हासिल है। ट्रंप ने ह्यूस्टन में ‘हाउडी मोदी’ कार्यक्रम में अपने ऐतिहासिक संबोधन को याद करते हुए कहा, प्रधानमंत्री मोदी मेरे एक मित्र हैं और वह बहुत अच्छा काम कर रहे हैं। कुछ भी आसान नहीं है, लेकिन उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है।
अमेरिका के पूर्व उप राष्ट्रपति एवं डेमोक्रेटिक पार्टी के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार जो बाइडेन के पास तीन दशक से अधिक समय के लिए डेलावेयर से सीनेटर के रूप में और फिर बराक ओबामा के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान उप-राष्ट्रपति के रूप में आठ वर्षों के दौरान मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों की वकालत करने एक मजबूत रिकॉर्ड है। रिपब्लिकन प्रशासन के दौरान भारत-अमेरिका असैन्य परमाणु समझौते के पारित होने और द्विपक्षीय व्यापार में 500 अरब अमरिकी डालर का लक्ष्य निर्धारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने से लेकर, बाइडेन के भारतीय नेतृत्व के साथ मजबूत संबंध हैं और उनके करीबियों में बड़ी संख्या में भारतीय मूल के अमेरिकी हैं। बाइडेन ने गत जुलाई में एक फंडरेजर में कहा था कि भारत और अमेरिका स्वाभाविक साझेदार हैं। यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अमेरिका की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, उन्होंने कहा था, यह साझेदारी, एक रणनीतिक साझेदारी है, हमारी सुरक्षा में आवश्यक और महत्वपूर्ण है।

उपराष्ट्रपति के रूप में अपने आठ वर्षों का उल्लेख करते हुए बाइडेन ने कहा था कि उन्हें गर्व है कि उन्होंने अमेरिका-भारत असैन्य परमाणु समझौते के लिए कांग्रेस की मंजूरी हासिल करने में एक भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि वह एक ‘बड़ा समझौता’ था। बाइडेन ने कहा था, हमारे संबंधों की प्रगति के लिए दरवाजे खोलना और भारत के साथ हमारी रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने में मदद करना ओबामा-बाइडेन प्रशासन में एक उच्च प्राथमिकता थी और यदि मैं राष्ट्रपति चुना जाता हूं तो यह उच्च प्राथमिकता होगी। तीन नवम्बर के बाद भारत-अमेरिका संबंध के लिए आधार हाल में नई दिल्ली में संपन्न 2 प्लस 2 मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान बना था। मंत्रिस्तरीय बैठक के दौरान और बाद में दोनों देशों के अधिकारियों ने इस बात को रेखांकित किया कि संबंधों को द्विदलीय समर्थन प्राप्त है और यह इस आधार पर नहीं है कि कौन सी पार्टी व्हाइट हाउस में आती है या किसका प्रतिनिधि सभा और सीनेट में बहुमत है।
ट्रंप प्रशासन के तहत, रक्षा और ऊर्जा को रणनीतिक संबंधों के दो प्रमुख स्तंभों के रूप में पहचाना जा रहा है। साथ ही कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग भी संबंधों में महत्वपूर्ण है। हालांकि, द्विपक्षीय व्यापार, विदेशी कामगारों के वीजा संबंधी मुद्दों पर मतभेद बने रहेंगे। विशेष रूप से, भारत एकमात्र प्रमुख देश है जिसके साथ ट्रंप प्रशासन कोई व्यापार समझौते पर पहुंचने में विफल रहा।

भाषा
वाशिंगटन


Post You May Like..!!

Latest News

Entertainment