नेपाल के ऊपरी सदन से भी नक़्शे का बिल पारित, भारतीय इलाकों को बताया है अपना
नेपाल की राष्ट्रीय सभा (संसद का उच्च सदन) ने गुरुवार को उस संविधान संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी, जिसमें देश के नए नक्शे को अपडेट करने का प्रावधान है।
![]() नेपाली संसद ने विवादित नक्शे को दी मंजूरी |
अपडेट किए गए नए नक्शे में कुछ भारतीय क्षेत्र भी शामिल हैं। नेपाल के इस कदम ने भारत के साथ उसके सीमा विवाद को बढ़ा दिया है। नए नक्शे में कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधुरा के इलाकों को नेपाल के क्षेत्रों के रूप में दर्शाया गया है, जबकि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण यह इलाके भारत का हिस्सा हैं।
पिछले शनिवार को नेपाली संसद के निचले सदन में नक्शे में संशोधन से जुड़ा विधयेक पारित कराया गया था और गुरुवार को उच्च सदन में भी इसे मंजूरी मिल गई।
नेपाल के उच्च सदन में यह विधेयक सर्वसम्मति से 57 मतों के समर्थन के साथ पारित हुआ। इसके खिलाफ एक भी मत नहीं पड़ा। दोनों सदनों में विधेयक पारित होने के बाद अब इसे नेपाल के राष्ट्रपति के पास भेजा जाएगा, जिस पर वह अपनी सहमति देंगे।
Nepal: The New Map Amendment Bill (Coat of Arms) proposes change in the map of Nepal to include parts of Indian territory. https://t.co/lFhn6BW2DW
— ANI (@ANI) June 18, 2020
नई दिल्ली में भारत सरकार ने पिछले हफ्ते नेपाल के इस कदम की आलोचना करते हुए इसे सीमा से जुड़े मुद्दों को वार्ता से निपटाने की सहमति का उल्लंघन बताया था। भारत ने कहा था कि नेपाल का यह कृत्रिम दावा ऐतिहासिक तथ्यों पर आधारित नहीं है।
बता दें कि आठ मई को भारत ने उत्तराखंड के लिपुलेख से कैलाश मानसरोवर के लिए सड़क का उद्घाटन किया था। इसे लेकर नेपाल की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया सामने आई थी। उद्घाटन के बाद ही नेपाल सरकार ने नया राजनीतिक नक्शा जारी करने का फैसला किया।
दरअसल इस सारे विवाद के पीछे चीन की कूटनीति को जिम्मेदारी माना जा रहा है।
सूत्रों ने बुधवार को बताया था कि नेपाल में चीन की राजदूत इन दिनों सत्ताधारी पार्टी के काफी करीब हैं और उनके प्रभाव में आकर ही नेपाल की सरकार ने इस विवाद को जन्म दिया है।
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