अफगानिस्तान में आंशिक युद्धविराम जारी रहेगा : गनी

Last Updated 01 Mar 2020 05:39:06 PM IST

अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने रविवार को कहा कि सात दिन का आंशिक युद्धविराम जारी रहेगा लेकिन उन्होंने अमेरिका-तालिबान समझौते के एक अहम अंश को खारिज कर दिया जिसमें हजारों चरमपंथी कैदियों को रिहा करने की बात है।


अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी

अमेरिका और तालिबान के बीच दोहा में शनिवार को ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर करने से सप्ताह भर पहले से तथाकथित ‘‘हिंसा में कमी’’ का दौर चल रहा है।      

समझौते में सभी विदेशी बलों को वापस बुलाने के लिए 14 माह का समय तय किया गया है बशर्ते तालिबान कई प्रतिबद्धताओं का पालन करे तथा अधिक समावेशी शांति समझौते के लिए काबुल के साथ वार्ता करे।       

गनी ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘हिंसा में कमी पूर्ण युद्धविराम का लक्ष्य हासिल करने तक जारी रहेगी।’’      

उन्होंने अफगानिस्तान में विदेशी सेना के प्रभारी अमेरिकी कमांडर का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘जनरल (स्कॉट) मिलर ने तालिबान को यह करने के लिए कहा है। यह जारी रहने की उम्मीद है।’’      

आंशिक समझौते से खुश अफगान लोगों के सड़कों पर झूमते नजर आने के बाद उम्मीदें जगी हैं कि अफगानिस्तान का 18 साल का युद्ध अंतत: समाप्त हो जाएगा।       

लेकिन आगे की राह आसान नहीं है, इसका संकेत देते हुए गनी ने समझौते की एक शर्त के खिलाफ दलील दी जिसमें तालिबान के 1,000 कैदी और अफगान सरकार के 5,000 कैदी रिहा करने की बात है।      

गनी ने कहा कि सरकार दोहा समझौते का हिस्सा नहीं थी इसलिए भले ही समझौते में कहा गया हो कि, ‘‘अमेरिका तालिबानी कैदियों को रिहा करने के लिए इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए प्रतिबद्ध है’’, यह स्पष्ट नहीं है कि काबुल की असहमति के बिना यह कैसे मुमकिन होगा।       

उन्होंने कहा किसी भी कैदी को रिहा करना, ‘‘अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं है, यह अफगान सरकार के अधिकार क्षेत्र में है।’’      

गनी ने कहा, ‘‘यह अफगान के अंदर वार्ता का एजेंडा हो सकता है लेकिन वार्ता के लिए जरूरी शर्त नहीं।’’      

तालिबान अब तक गनी प्रशासन के साथ बातचीत करने से इनकार करता रहा लेकिन यह समझौता काबुल और चरमपंथियों के ‘‘अंत: अफगान’’ बातचीत के जरिए अलग शांति समझौते तक पहुंचने पर निर्भर है।  



पुन: निर्वाचन में हुई धांधली के आरोपों के बाद राजनीतिक संकट में घिरे गनी ओस्लो में 10 मार्च से शुरू होने वाली आगामी वार्ता की ओर इशारा कर रहे थे।       
 

कैदियों की रिहाई पर गनी के सवाल आगे की बातचीत की राह को मुश्किल बना सकते हैं और वह भी ऐसे देश में जो जनजातीय एवं नस्ली प्रतिद्वंद्विता से बुरी तरह प्रभावित है।

एएफपी
काबुल


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