पाक पीएम इमरान के पक्ष में उतरी, कहा- अस्थिरता बर्दाश्त नहीं

Last Updated 03 Nov 2019 06:52:39 AM IST

पाकिस्तानी सेना ने शनिवार को आगाह किया कि देश में किसी को भी अस्थिरता या अराजकता उत्पन्न नहीं करने दी जाएगी।


धर्मगुरु एवं राजनीतिज्ञ मौलाना फजलुर रहमान व पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर (file photo)

इससे एक दिन पहले ही धर्मगुरु एवं राजनीतिज्ञ मौलाना फजलुर रहमान ने प्रधानमंत्री इमरान खान के पद छोड़ने के लिए दो दिन की समयसीमा तय की थी।
कट्टरपंथी धर्मगुरु रहमान ने वर्तमान सरकार को हटाने के लिए आयोजित प्रदर्शन रैली को यहां शुक्रवार को संबोधित किया था। प्रदर्शन रैली को ‘आजादी मार्च’ नाम दिया गया है। रहमान ने अपने संबोधन में कहा कि ‘पाकिस्तान के गोर्बाच्येव’ को शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों के धैर्य की परीक्षा लिए बिना इस्तीफा दे देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान पर शासन करने का अधिकार केवल देश के लोगों को है, किसी ‘संस्थान’ को नहीं। उन्होंने शुक्रवार को कहा था, ‘हम हमारे संस्थानों के साथ कोई टकराव नहीं चाहते। हम चाहते हैं कि वे तटस्थ रहें। हम संस्थानों को भी यह निर्णय करने के लिए दो दिन का समय देते हैं कि क्या वे इस सरकार को समर्थनजारी रखेंगे।’

रहमान की टिप्पणी पर पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल आसिफ गफूर ने कहा, ‘मौलाना फजलुर रहमान एक वरिष्ठ नेता हैं। उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वे किस संस्थान के बारे में बात कर रहे हैं। पाकिस्तान का सशस्त्र बल एक तटस्थ संस्थान है जिसने हमेशा ही लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकारों का समर्थन किया है। उन्होंने आगाह किया, ‘किसी को भी अस्थिरता उत्पन्न नहीं करने दी जाएगी क्योंकि देश अराजकता बर्दाश्त नहीं कर सकता।’ उन्होंने 2018 आम चुनाव के दौरान सेना की तैनाती का बचाव किया और कहा कि इससे चुनावों में संवैधानिक जिम्मेदारी पूरी हुई।
उन्होंने कहा, यदि विपक्ष को परिणामों के बारे में कोई आपत्ति है तो उसे सड़कों पर आरोप लगाने की बजाय प्रासंगिक मंचों पर जाना चाहिए। गफूर ने कहा कि लोकतंत्र से जुड़े मुद्दों को लोकतांत्रिक रूप से सुलझाया जाना चाहिए और उन्होंने प्रदर्शनकारियों और सरकार के बीच सम्पर्क की सराहना की।
रहमान ने विपक्षी नेताओं के साथ बैठक के बाद गफूर की टिप्पणी पर प्रतिक्रिया में मीडिया से कहा कि सैन्य प्रवक्ता को ऐसे बयान देने से परहेज करना चाहिए जो सेना की तटस्थता का उल्लंघन करे। उन्होंने कहा, ‘यह बयान किसी नेता की ओर से आना चाहिए था, सेना की ओर से नहीं।’ रहमान की जमीयत उलेमा ए इस्लाम फजल के नेतृत्व वाला आजादी मार्च बृहस्पतिवार को अपने अंतिम गंतव्य स्थल पहुंचा। मार्च सिंध प्रांत से शुरू हुआ था और बुधवार को लाहौर से निकला था। प्रधानमंत्री खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ की सरकार को सत्ता से हटाने के लिए आयोजित इस मार्च में रहमान के साथ पीएमएल.एन, पीपीपी और एएनपी के नेता भी हैं।

भाषा
इस्लामाबाद


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