भारत ने युद्ध नहीं बुद्ध दिए : मोदी

Last Updated 27 Sep 2019 11:35:00 PM IST

आतंकवाद को पूरे विश्व के लिए चुनौती करार देते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को इसके खिलाफ दुनिया से एकजुट होने का आह्वान किया और विश्व शांति के प्रति भारत के योगदान को रेखांकित करते हुए कहा कि हमने दुनिया को ‘‘युद्ध नहीं बुद्ध’’ दिए हैं।


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 74वें सत्र को हिंदी में संबोधित करते हुए कहा, ‘‘आतंक के नाम पर बंटी दुनिया उन सिद्धांतों को ठेस पहुंचाती है, जिनके आधार पर संयुक्त राष्ट्र का जन्म हुआ। मैं समझता हूं कि आतंकवाद के खिलाफ पूरे विश्व का एकजुट होना अनिवार्य है।’’      

उन्होंने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि यह किसी एक देश के लिए बल्कि पूरे विश्व एवं मानवता के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।’’      

उन्होंने यह भी कहा, ‘‘हम उस देश के वासी हैं जिसने दुनिया को युद्ध नहीं, बुद्ध दिए हैं।’’           

मोदी ने संयुक्त राष्ट्र में करीब 18 मिनट के अपने संबोधन में कहा, ‘‘यही कारण है कि हमारी आवाज में आतंक के खिलाफ दुनिया को सतर्क करने की गंभीरता भी है, आक्रोश भी है।’’      

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए, मानवता की खातिर, आतंक के खिलाफ पूरे विश्व का एकमत होना और एकजुट होना मैं अनिवार्य समझता हूं।’’      

लेकिन उन्होंने इस बात पर निराशा व्यक्त की कि आतंकवाद से निपटने के लिए सदस्य देशों के बीच सर्वसम्मति का अभाव है।       

उल्लेखनीय है कि भारत ने 1996 में संरा महासभा में ‘‘अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर समग्र समझौते (सीसीआईटी)’’ को लेकर एक मसौदा दस्तावेज दिया था। किंतु यह एक मसौदा दस्तावेज ही बना हुआ है क्योंकि सदस्य देशों में इसे लेकर सहमति नहीं बन पायी है।      

प्रधानमंत्री मोदी ने इससे पहले 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित किया था। प्रधानमंत्री ने अपने ताजा संबोधन में कश्मीर और पाकिस्तान का कोई उल्लेख नहीं किया।      

प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षा मिशनों में भारत ने सबसे ज्यादा योगदान दिया है।      

संयुक्त राष्ट्र के इन मिशनों में सेवा देते हुए कम से कम 160 भारतीय शांतिरक्षकों ने अपने जीवन का बलिदान दिया।       

मोदी ने स्वामी विवेकानंद, महात्मा गांधी और तमिल कवि कणियन पूंगुन्ड्रनार के संदेशों को एक बार फिर विश्व पटल पर मजबूती से रखा।       

उन्होंने स्वामी विवेकानंद के 125 साल पहले शिकागो में धर्म संसद में दिए संदेश का उल्लेख करते हुए कहा, ‘‘विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र का आज भी अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए शांति और सौहार्द ही, एकमात्र संदेश है।’’      

मोदी ने अपने संबोधन की शुरुआत में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद करते हुए कहा कि विश्व उनकी 150वीं जयंती मना रहा है और उनका सत्य एवं अहिंसा का संदेश पूरे विश्व के लिए आज भी प्रासंगिक है।    

उन्होंने कहा ‘‘अगर इतिहास और प्रति व्यक्ति उत्सर्जन के नजरिए से देखें तो ग्लोबल वार्मिंग में भारत का योगदान कम है, लेकिन समाधान के लिए कदम उठाने में भारत अग्रणी देश है।’’

उन्होंने कहा कि आने वाले पांच वर्षों में हम जल संरक्षण के साथ 15 करोड़ परिवारों को पाइप के जरिए पेयजल आपूर्ति से जोड़ने वाले हैं।      

प्रधानमंत्री ने कहा कि हम जन-भागीदारी से जन-कल्याण की दिशा में काम कर रहे हैं और यह केवल भारत ही नहीं ‘‘जग-कल्याण’’ के लिए है।      

उन्होंने कहा कि एक विकासशील देश होने के बावजूद भारत स्वच्छता, स्वास्थ्य, जल संरक्षण और गरीबों के लिये आवास की सबसे बड़ी योजनाओं को कारगर तरीके से लागू करने में सफल रहा हैं। यह वि समुदाय के लिये संवेदनशील व्यवस्था के प्रति नया मार्ग प्रशस्त करता है और अन्य देशों में जनकल्याण के प्रति विास भी पैदा करता है।       

मोदी ने कहा कि वर्ष 2022 में जब भारत आजादी के 75 साल पूरे करेगा, तब गरीबों के लिये दो करोड़ घर बना लिये जायेंगे। इसी तरह विश्व ने टीबी से मुक्ति के लिये 2030 का समय तय किया है जबकि भारत ने 2025 तक ही इससे मुक्ति का लक्ष्य बनाया है।            

प्रधानमंत्री ने विश्व के विभिन्न देशों से प्राकृतिक आपदाओं से नुकसान पर अंकुश लगाने के लिए भारत की पहल ‘आपदा प्रतिरोधी अवसंरचना के लिए गठबंधन’ (सीडीआरआई) से जुड़ने का निमंतण्रभी दिया।      

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ग्लोबल वार्मिंग का दायरा बढता जा रहा है, उसके नए स्वरूप सामने आ रहे हैं। इसी को देखते हुए भारत ने सीडीआरआई की पहल की है। दुनिया के देशों को इससे जुड़ने का निमंतण्रदेता हूं। इससे प्राकृतिक आपदाओं का असर कम से कम होगा।’’     

मोदी ने कहा, ‘‘सवाल ये है कि आखिर हम यह सब कैसे कर पा रहे हैं? यह बदलाव तेजी से कैसे आ रहा है? भारत हजारों वर्ष पुरानी संस्कृति है, जिसकी जीवंत परंपरायें है, जो वैश्विक सपनों को अपने में समेटे हुए है। हमारी संस्कृति जीव में शिव को देखती है। जन-भागीदारी से जन-कल्याण और जन-कल्याण से जग-कल्याण में यकीन रखती है।’’     

मोदी ने कहा कि इसी मार्ग पर चलकर भारत की प्ररेणा है ‘सबका साथ सबका विकास और सबका विास।’     

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत जैसे ही प्रयास जब अन्य देश भी करते हैं तब उनका यह विास एवं संकल्प और भी मजबूत हो जाता है कि वह अपने देश का विकास और तेजी से करें।    

एकल प्रयोग प्लास्टिक के खिलाफ अभियान शुरू करने से कुछ दिनों पहले उन्होंने दुनिया के समक्ष अपनी सरकार की इस पहल का उल्लेख किया।   

 

उन्होंने कहा, ‘‘ मैंने यहां संयुक्त राष्ट्र के भवन में प्रवेश करते हुए एक दीवार पर लिखी अपील पर गौर किया कि संयुक्त राष्ट्र से एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक से मुक्त बनने को कहा गया है।’’    

मोदी ने कहा, ‘‘मुझे इस महान सभा को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि आज जब मैं आपको संबोधित कर रहा हूं, भारत को एकल प्रयोग प्लास्टिक से मुक्त बनाने के लिए पूरे देश में एक बड़ा अभियान शुरू हो गया है।’’    

उन्होंने कहा कि हम अक्षय उर्जा को लेकर काम कर रहे हैं और अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन को लेकर भी कदम उठाया गया है।

भाषा
संयुक्त राष्ट्र


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