मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने को लेकर चीन पर टिकी निगाहें

Last Updated 13 Mar 2019 09:52:06 AM IST

जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के मामले में चीन का रुख आज (बुधवार को) साफ होगा।


जैश-ए-मोहम्मद का सरगना मसूद अजहर (फाइल फोटो)

इस प्रस्ताव पर स्पष्टीकरण मांगने के लिए आज आखिरी तारीख है। अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के किसी भी सदस्य देश ने आपत्ति नहीं जताई तो आज शाम तक इस आतंकी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित किया जा सकता है। 

अमेरिका ने मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने के संबंध में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अहम निर्णय लिए जाने की पूर्व संध्या पर मंगलवार को कहा कि मसूद अजहर को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त आधार है और ऐसा नहीं किया जाना क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए खतरा होगा।     

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पलाडिनो ने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘मसूद जैश-ए-मोहम्मद का संस्थापक और सरगना है और उसे संयुक्त राष्ट्र की ओर से आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त कारण हैं।’’     

उन्होंने कहा कि जैश कई आतंकवादी हमलों में शामिल रहा है और वह क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए खतरा है।     

पलाडिनो ने कहा कि अमेरिका और भारत आतंकवाद के खिलाफ मिलकर काम कर रहे हैं।     

उन्होंने इस मामले में संयुक्त राष्ट्र में हुई बातचीत पर सीधी टिप्पणी नहीं की।    

उल्लेखनीय है कि 50 वर्षीय मसूद अजहर ने भारत में कई आतंकवादी हमले कराए हैं और वह संसद, पठानकोट वायुसेना स्टेशन, उरी और जम्मू-कश्मीर में कई अन्य जगह सैन्य शिविरों पर हमले और हाल में पुलवामा में सीआरपीएफ पर हुए आत्मघाती हमले का साजिशकर्ता है। पुलवामा में 14 फरवरी को हुए जैश के हमले में 40 जवान शहीद हो गए थे।    

इस हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के तीन स्थायी सदस्यों अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस ने मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित कराने के लिए प्रस्ताव पेश किया था।    

इससे पहले सुरक्षा परिषद में मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित किए जाने की कई कोशिशों को पाकिस्तान का मित्र चीन बाधित कर चुका है।     

परिषद के पांच स्थायी सदस्यों में शामिल चीन अब तक यह कहता आया है कि मसूद को वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं।     

पुलवामा हमले के बाद वैश्विक आक्रोश के मद्देनजर अमेरिका, ब्रिटेन और फ्रांस को उम्मीद है कि इस बार चीन समझदारी से काम लेगा और उनके कदम को बाधित नहीं करेगा।

पुलवामा हमले के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव और बढ़ गया है।

समयलाइव डेस्क/भाषा


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