Chaitra Navratri 4th Day: नवरात्रि के चौथे दिन इस विधि से करें मां कूष्मांडा की पूजा

Last Updated 12 Apr 2024 07:00:18 AM IST

Navratri 4th Day Puja: नवरात्रि के चौथे दिन कूष्माण्डा देवी की पूजा होती है। जब सृष्टि का अस्तित्व नहीं था,तब इन्हीं देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी इसलिए इन्हें आदि-स्वरूपा, आदिशक्ति कहा जाता है।


देवी कूष्माण्डा सूर्यमंडल के भीतर निवास करती हैं। मां का आर्शीवाद अपने भक्तों पर हमेशा रहता है। जिन लोगों को संतान की इच्छा है वो नवरात्रि के चौथे दिन मां कूष्माण्डा की ऐसे पूजा करें मां उन्हें ज़रुर संतान सुख देगी।   

Maa Kushmanda ki puja

माँ की आठ भुजाएं होने के कारण इन्हें अष्टभुजा देवी के नाम से भी पुकारा जाता है। इनके सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है। मां के आठवें हाथ में जप माला है। मां दुर्गा के इस रूप को सृष्‍ट‍ि की आदि स्‍वरूपा और आदि शक्‍त‍ि कहते हैं। माना जाता है कि जब सृष्टि नहीं थी, चारों तरफ अंधकार ही अंधकार था, तब इसी देवी ने अपनी मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की थी इसलिए इन्‍हें सृष्टि की आदिस्वरूपा या आदिशक्ति कहा गया है। मां कूष्मांडा का वाहन सिंह है। मां कूष्मांडा की पूजा– अर्चना करने से भक्तों के मन का डर और भय दूर होता है और जीवन में सफलता प्राप्‍त होती है साथ ही भक्तों के रोगों और दुखों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और संतान सुख, आरोग्य प्राप्त होता है।
यह देवी सच्चे मन से की हुई सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर भक्तों को सदा सुखी रहने का आशीर्वाद देती हैं।

मंत्र - Mantra

ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥

ध्यान मंत्र- Dhyan mantra

वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥

भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।

मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।

कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र - Stotra

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

पूजा की विधि

• हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम करें

• मां की पूजा करने के बाद भगवान शंकर और भगवान विष्‍णु व मां लक्ष्‍मी की पूजा आवश्यक है। 

• मां कूष्मांडा को मालपुए का भोग बहुत पसंद है।

• भोग लगाने के बाद प्रसाद ब्राहृमण को दान करें।

• इस दिन भोजन में दही, हलवा खिलाना और फल, सूखे मेवे, श्रृंगार का सामान दान देने से माँ कूष्माण्डा प्रसन्न होती हैं, जिससे मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

• ऐसा करने से मां आपकी सारी परेशा नियां दूर करती हैं और आपको मनचाहा फल देती हैं।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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