Maa Kalratri Vrat Katha : नवरात्रि के 7वें दिन पढ़ें मां कालरात्रि की कथा, मिलेगी काल के भय से मुक्ति

Last Updated 21 Oct 2023 07:46:28 AM IST

नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि देवी की पूजा की जाती है। कालरात्रि देवी को ही काली माता का रूप माना जाता है।


Maa Kalratri Vrat Katha

Maa Kalratri Vrat Katha in hindi : नवरात्रि के सातवें दिन कालरात्रि देवी की पूजा की जाती है। कलियुग में मात्र कालरात्रि अथवा काली देवी एक ऐसी देवी स्वरूपा हैं जो मनुष्य के कर्मों का फल प्रत्यक्ष रूप से प्रदान करती हैं। कालरात्रि माता को अनेक नाम से जाना जाता है, भद्रकाली, दक्षिण काली, मातृ काली तथा महाकाली।
कालरात्रि देवी काली रात की भांति काली हैं। उनके गले में विद्युत की माला पड़ी है। साथ ही बाल काली घटा के जैसे बिखरे हुए हैं। दुष्टों के लिए भयावह रूप धारण करने वाली कालरात्रि देवी अपने प्रिय भक्तों को सदैव प्रेम देती हैं। नवरात्रि के सप्तम दिन माता कालरात्रि का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि देवी कालरात्रि का पूजन करने से बुरे समय का नाश होता है। कालरात्रि माता के स्वरूप को वीरता का स्वरूप माना जाता है। आज हम आपके लिए देवी के इसी उज्ज्वल स्वरूप की कथा लेकर प्रस्तुत हुए हैं।

माता कालरात्रि की कथा- Maa Kalratri Vrat Katha in hindi

दुर्गा सप्तशी में माता कालरात्रि के स्वरूप का वर्णन मिलता है। जिसके अनुसार महिषासुर नामक एक भयानक दैत्य था। जिसको यह वरदान प्राप्त था कि  उसकी रक्त की एक बूंद जब धरती पर पड़ेगी। तब महिषासुर जैसे नए राक्षस का जन्म हो जाएगा। इस राक्षस ने धरती पर इस प्रकार तूफान तथा हाहाकार मचा रखा था कि सभी प्राणी अपने जीवन की गुहार कर रहे थे।

तब देवी कालरात्रि ने महिषासुर का वध करने के लिए रणभूमि में प्रवेश किया। युद्ध भूमि माता कालरात्रि के आगमन को देख राक्षस महिषासुर ने इस प्रकार बाणों की बौछार करनी शुरू कर दी। जिस प्रकार आकाश से वर्षा का पानी निरंतर पड़ता है।  देवी कालरात्रि ने उसके बाणों को अपने बाण से काटकर महिषासुर के सैनिकों तथा घुड़सवार का अंत किया। इसके उपरांत क्रोधित मां कालरात्रि ने महिषासुर के शीश को अलग करके उसके रक्त को पृथ्वी पर गिरने ना दिया। राक्षस महिषासुर के शूल के टुकड़े टुकड़े हो गए। तथा कालरात्रि देवी द्वारा महिषासुर जैसे दैत्य का अंत हुआ। इस प्रकार माता कालरात्रि ने महिषासुर नामक भयंकर ज्वालामुखी जैसे राक्षस का संहार किया।

यह कथा भक्तों के दुखों का नाश करने वाली है। साथ ही अपने भक्तों को सदैव साहस का ज्ञान कराने वाली है। जो भी भक्त माता कालरात्रि की शरण में जाता है। उसका काल से बचाव माता कालरात्रि के हाथों में आ जाता है।

जय माता दी।।
जय माता कालरात्रि।।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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