Pitru Paksha 2023: जानिए पितृपक्ष में देवी - देवताओं की पूजा करनी चाहिए या नहीं

Last Updated 25 Sep 2023 12:37:07 PM IST

द्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं, जिसमे हम अपने पूर्वजों को श्रद्धा पूर्वक याद करते हैं।


Pitru Paksha 2023

Pitru paksha me puja karna chahiye ki nahi: हिन्दू धर्म के धर्म शास्त्रों में माता-पिता और बड़े बुजुर्गो की सेवा को सबसे बड़ी पूजा माना गया है। माता-पिता व पूर्वजों को मृत्यु-उपरांत लोग भूल न जाएं इसलिए धर्म ग्रंथों में उनका श्राद्ध करने की बात कही गई है। यह श्राद्ध पूजा पितृ पक्ष के रूप में शुरू होती है। यह पुरुषों के द्वारा किया जाता है इसलिए हिंदू धर्म शास्त्रों में पितरों का उद्धार करने के लिए पुत्र के महत्व को बताया गया है। भाद्रपद माह की पूर्णिमा से आश्विन कृष्णपक्ष अमावस्या तक के सोलह दिनों को पितृपक्ष कहते हैं, जिसमे हम अपने पूर्वजों को श्रद्धा पूर्वक याद करते हैं। इस दौरान विशेष प्रकार से उन्हें अपने सामर्थ्य अनुसार दान करते हैं। तो चलिए आपको बताते हैं पितृपक्ष में देवी – देवताओं की पूजा करनी चाहिए या नहीं।   

Pitru paksha me puja karna chahiye ki nahi

इस साल 2023 कब से कब तक हैं पितृ पक्ष
प्रत्येक वर्ष भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि से पितृ पक्ष का प्रारंभ हो जाता है। इस वर्ष पूर्णिमा तिथि की श्राद्ध 29 सितंबर को शुरू हो गई है। पंचांग के अनुसार पितृ पक्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि अर्थात 14 अक्टूबर 2023 को समाप्त होगा। पितरों की पूजा करने से आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, लक्ष्मी, पशु, धान्य की समृद्धि होती है। देवी-देवताओं की आराधना के साथ ही स्वर्ग को प्राप्ति होने वाले पूर्वजों की भी श्रद्धा और भाव के साथ पूजा व तर्पण किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, पितरों के प्रसन्न होने पर ही देवी-देवता प्रसन्न रहते हैं।

Pitru paksha me puja karna chahiye ki nahi
पितृपक्ष में देवी - देवताओं की पूजा  करनी चाहिए या नहीं..
• हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में ऐसा माना जाता है कि पितृ पक्ष में खुशी का कोई भी कार्य करने से पितरों की आत्‍मा को कष्‍ट होता है और इस कारण पितृ पक्ष में कोई भी शुभ कार्य करने की मनाही होती है।
• धार्मिक मान्यता के अनुसार पितृपक्ष के दौरान घर में सभी प्रकार के मांगलिक व शुभ कार्य जैसे शादी,पार्टी से सम्बंधित कार्यक्रम, मुंडन, गृह प्रवेश अन्‍य कोई भी शुभ कार्य शास्‍त्रों में वर्जित बताया गया है।
• इसके साथ ही शास्त्रों में देवी-देवताओं की पूजा के साथ पूर्वजों की पूजा वर्जित है।
• पितृ पक्ष में प्रतिदिन की तरह ही ईश्वर की पूजा करनी चाहिए। पितरों को पूजनीय ज़रूर माना गया है, लेकिन शास्त्रों के अनुसार घर में देवी-देवताओं की पूजा के साथ पूर्वजों की उपासना नहीं की जाती है।
• पितृ पक्ष के दौरान पूजा करने की कोई विशेष विधि या कोई शुभ मुहूर्त नहीं होता। आप अन्य दिनों की तरह ही श्राद्ध में भी नियमित रूप से सुबह-शाम देवी-देवताओं की पूजा कर सकते हैं। मान्यता है कि इस दौरान पूजा-पाठ बंद करने से पितरों के निमित्त किए गए श्राद्ध का पूर्ण फल  नहीं मिलता इसलिए पितृ पक्ष में पूजा-पाठ करते रहें।
• ऐसा कहा जाता है कि पितृपक्ष में खरीदारी करने से पितर नाराज़ होते हैं लेकिन धार्मिक शास्त्रों में पितृपक्ष में खरीदारी को लेकर कोई ज़िक्र नहीं किया गया है।
पितरों को पूजनीय माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार पितृपक्ष के दौरान पितर पृथ्वी पर वास करते हैं और इसलिए पितरों की पूजा करना बेहद कल्याणकारी माना गया है। पितृपक्ष के दौरान देवी-देवता की पूजा भी प्रतिदिन करनी चाहिए। ऐसा करने से घर में सुख शांति बनी रहती है। 

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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