Ganpati Visarjan: आखिर क्यों किया जाता है गणपति मूर्ति का विसर्जन, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा

Last Updated 24 Sep 2023 10:57:02 AM IST

इस साल 28 सितम्बर 2023 को गणपति विसर्जन है। इस दिन चारों दिशाएं गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंज उठती हैं। गणेश चतुर्थी का यह पर्व गणपति जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।


Ganpati Visarjan

Ganpati Visarjan Time: हिंदू धर्म में विभिन्न प्रकार के त्योहार मनाएं जाते हैं, जिनमें से गणपति उत्सव भी एक विशेष पर्व है। गणपति उत्सव भारत में मनाया जाने वाला एक बेहद महत्वपूर्ण त्योहार माना जाता है। हर साल की तरह इस साल की गणपति जी का यह त्योहार लोगों के बीच उत्साह लेकर आया है। इस साल 28 सितम्बर 2023 को  गणपति विसर्जन है। इस दिन चारों दिशाएं गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंज उठी हैं। दरअसल, गणेश चतुर्थी का यह पर्व गणपति जी के जन्मोत्सव के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। इस पर्व पर गणपति जी की मूर्ति को 10 दिन के लिए अपने घर में रखा जाता है और अनंत चतुर्दशी को मूर्ति का विसर्जन किया जाता है। इस साल अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर को है।
 

गणेश महोत्सव के अंतिम दिन गणेश विसर्जन मनाए जाने की परंपरा है। अनंत चतुर्दशी का यह 10 दिवसीय महोत्सव का समापन गणेश जी के विसर्जन के बाद होता है. परंपरा है कि विसर्जन के दिन गणपति की मूर्ति का नदी, समुद्र या जल में विसर्जित करते हैं। गणपति जी के विसर्जन के पीछे कई कथाएं प्रचलित हैं जिन्हें आज हम अपने आर्टिकल के जरिए आपको बताने जा रहे हैं।

साल 2023 गणेश विसर्जन शुभ चौघड़िया मुहूर्त
प्रातः मुहूर्त (शुभ) - 06:13 ए एम से 07:43 ए एम
प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) - 10:43 ए एम से 03:12 पी एम
अपराह्न मुहूर्त (शुभ) - 04:42 पी एम से 06:12 पी एम
सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) - 06:12 पी एम से 09:12 पी एम
रात्रि मुहूर्त (लाभ) - 12:13 ए एम से 01:43 ए एम, सितम्बर 29
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ - सितम्बर 27, 2023 को 10:18 पी एम बजे
चतुर्दशी तिथि समाप्त - सितम्बर 28, 2023 को 06:49 पी एम बजे

गणेश चतुर्थी मनाने का कारण
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार देवी पार्वती ने भगवान शिव की अनुपस्थिति में स्नान करते समय अपनी रक्षा के लिए चंदन के लेप से भगवान गणेश की रचना की थी। भगवान शिव के लौटने पर, गणेश पहरा दे रहे थे लेकिन भगवान शिव को स्नान कक्ष में प्रवेश नहीं करने दिया। क्रोधित शिव ने फिर गणेश का सिर काट दिया। यह देखकर देवी पार्वती क्रोधित हो गईं और देवी काली में परिवर्तित हो गईं। भगवान शिव ने एक बच्चे को खोजने और उसका सिर काटने का सुझाव दिया। शर्त यह थी कि बच्चे की मां का मुंह दूसरी तरफ हो। जो पहला सिर मिला वह एक हाथी के बच्चे का था। भगवान शिव ने हाथी का सिर जोड़ा और गणेश का पुनर्जन्म हुआ। यह देख पार्वती अपने मूल रूप में लौट आईं और तब से हर साल गणेश चतुर्थी मनाई जाती है।

गणेश विसर्जन की परंपरा
गणेश चतुर्थी त्योहार के अंतिम दिन, गणेश विसर्जन की परंपरा होती है। 10 दिवसीय उत्सव के समापन दिवस को अनंत चतुर्दशी के नाम से भी जाना जाता है। अंतिम दिन भक्त अपने प्यारे भगवान की मूर्तियों को लेकर जुलूस में निकलते हैं और विसर्जन करते हैं।

गणेश विसर्जन की कहानियां
गणेश विसर्जन की कथा के पीछे एक दिलचस्प कहानी है। ऐसा माना जाता है कि त्योहार के आखिरी दिन भगवान गणेश अपने माता-पिता भगवान शिव और देवी पार्वती के साथ कैलाश पर्वत पर लौटते हैं। गणेश चतुर्थी का उत्सव जन्म, जीवन और मृत्यु के चक्र के महत्व को भी दर्शाता है। गणेश, जिन्हें नई शुरुआत के भगवान के रूप में भी जाना जाता है, वही बाधाओं के निवारण के रूप में भी पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि जब गणेश जी की मूर्ति को विसर्जन के लिए बाहर ले जाया जाता है तो वह अपने साथ घर की विभिन्न बाधाओं को भी दूर कर देती है और विसर्जन के साथ-साथ इन बाधाओं का भी नाश होता है। हर साल लोग बड़ी बेसब्री से गणेश चतुर्थी के त्योहार का इंतजार करते हैं। और हमेशा की तरह, हम यह भी आशा करते हैं कि इस वर्ष भी, विघ्नहर्ता अपने आशीर्वाद को हम पर बरसाएंगे और हमारे जीवन के सभी संघर्षों को मिटा देंगे।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार यह भी माना जाता है कि श्री वेद व्यास जी ने गणपति जी जब  महाभारत की कथा सुनानी शुरू की थी, तभी से गणेश चतुर्थी का आरंभ हो गया था। कहानी सुनाने के दौरान व्यास जी आंख बंद करके गणेश जी को लगातार 10 दिनों तक कथा सुनाते रहे और गणपति जी लगातार 10 दिनों तक लिखते रहे। यह कथा खत्म होने के 10 दिन बाद जब व्यास जी ने आंखे खोली तो देखा कि गणेश जी के शरीर का तापमान काफी ज्यादा बढ़ गया था। ऐसे में व्यास जी ने गणेश जी के शरीर को ठंडा करने के लिए जल में डुबकी लगवाना शुरू कर दी। तभी से यह मान्‍यता है कि 10वें दिन गणेश जी को शीतल करने के लिए उनका विसर्जन जल में किया जाता है।

इस प्रकार गणपति विसर्जन का आयोजन करना आवश्यक और महत्वपूर्ण माना गया है। गणपति विसर्जन करने के बाद गणपति जी के भक्त अगले वर्ष उनके स्वागत के लिए उनका इंतजार करते हैं। साथ ही जीवन के हर एक पड़ाव में गणपति जी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए भी उनसे प्रार्थना करते हैं।

प्रेरणा शुक्ला
नई दिल्ली


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