जीवन का महत्त्व

Last Updated 29 Apr 2022 12:11:02 AM IST

पिछले 300 वर्षो में विज्ञान ने स्वयं मानव जाति के लिए जिस बेहद विशाल समस्या को जन्म दिया है, वह है स्वयं अपने लिए सम्मान की संभावना को पूरी तरह समाप्त कर देना।


आचार्य रजनीश ओशो

जिस क्षण व्यक्ति अपना सम्मान करना भूल जाता है.. उसी क्षण वह जीवन के सभी सुखों से किनारा कर लेता है.. वह आत्माविहीन एक शरीर की भांति रह जाता है। विज्ञान का यही मानना है कि मनुष्य जाति मात्र एक घटना का परिणाम है.. मनुष्य का अस्तित्व केवल एक घटना है। विज्ञान की ओर से दी जा रही यह शिक्षा हर किसी के मस्तिष्क में घर करती जा रही है। मनुष्य की सबसे बड़ी आवश्यकता यही है कि किसी को उसकी भी जरूरत हो।

जब आपको यह अहसास हो जाता है कि किसी के लिए आप जरूरी हैं..उसी समय आपको परमानंद की अनुभूति होती है। भले ही आप किसी एक ही व्यक्ति के लिए जरूरी क्यों न हो..आपको आपका महत्त्व समझ आने लगता है। देखिए न कि संतान को एक मां के रूप में आपकी जरूरत है..आपके पति को पत्नी के रूप में आपकी जरूरत है..आपके दोस्त को एक दोस्त के तौर पर आपकी जरूरत है..यह अहसास ताउम्र संतुष्ट होकर जीने के लिए काफी है।

आपके बिना कोई अधूरा महसूस करेगा..आप किसी के लिए बहुत जरूरी हैं.. यह बात आपके जीवन को अर्थ देती है। एक धार्मिंक व्यक्ति वही है जिसे यह ज्ञान हो कि ब्रह्मांड को उसकी जरूरत है..ऐसी स्थिति में उसकी खुशी का कोई अंत नहीं होता। भले ही एक ही व्यक्ति क्यों न आपको चाहकर..आपकी जरूरत को महसूस कर आपको जीवन जीने का अर्थ समझाए.. उसका ऐसा महसूस करना ही आपके लिए काफी है..जरा सोचिए जब पूरा ब्रह्मांड आपको चाहने लगेगा.. आपकी जरूरत को महसूस करने लगेगा तब आपकी खुशी कितनी ज्यादा होगी।

शायद तब आपको मनुष्य रूप में जन्म लेने का वास्तविक अर्थ समझ आएगा। कहने की जरूरत नहीं कि उस दिन, उस पल ऐसा होने पर अचानक आपका जीवन आपके लिए एक खूबसूरत कविता बन जाएगा.. ऐसा खूबसूरत गाना जिसकी धुन पर आप बिना धुन के भी नृत्य करने लगते हैं..आपको बस अपने जीवन के महत्त्व को समझना आना चाहिए।



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