स्वप्न

Last Updated 29 Dec 2021 04:00:12 AM IST

स्वप्न एक बेहोशी में बुनी हुई कल्पना है। कुछ लोगों ने कई बार सपनों का प्रयोग अपने मन के उन विभिन्न आयामों में जाने के लिए किया है, जिन तक सामान्य रूप से उनकी पहुंच नहीं होती।


सद्गुरु

तो वहां प्रवेश करने के लिये उन्हें स्वप्न एक अच्छे साधन के रूप में लगते हैं। स्वप्न आप के मन का बस एक और आयाम है। केवल तब जब आप उसके पार जाते हैं, तो ही उस आयाम को छू पाते हैं, जिसे आजकल रहस्यवाद के नाम से जाना जाता है। रहस्यवाद वह है जिसे आप अपने भौतिक शरीर या मन से छू नहीं सकते। आप के मन की इतनी योग्यता है ही नहीं। शरीर की भी यह योग्यता नहीं है। आप के अंदर एक नये आयाम को जागृत होना होगा, जिससे आप रहस्यवाद के आयाम को छू सकें।

बेहतर होगा कि हम इसे उस तरीके से समझें, नहीं तो हर सपने को, हर काल्पनिक परिस्थिति को रहस्यवाद कह दिया जाएगा। स्वप्न एक तरह का साधन है लेकिन यह बहुत ही नाजुक साधन है। हमारे पास और भी बेहतर साधन हैं पर उनका उपयोग करने के लिए मनुष्य को अपने अंदर बेहतर ढंग से व्यवस्थित होना होगा। उदाहरण के लिए मैं इस तरह से हूं, अगर मैं अपनी आंखें बंद कर लेता हूं तो मेरे लिए दुनिया गायब हो जाती है।

लोग पूछते हैं, ‘यह कैसे संभव है?’ बस, यही तो पलकों का काम है। जब आप इन्हें बंद कर लेते हैं, तो सब कुछ खत्म हो जाना चाहिए। जैसे, आप के घर में खिड़की है। जब आप उसे बंद करते हैं, तो इतना शक्तिशाली सूर्य भी बाहर बंद हो जाता है, उसका प्रकाश अंदर नहीं आ सकता। एक खिड़की यह काम कर सकती है तो पलकें क्यों नहीं कर सकतीं? ये इसलिए ऐसा नहीं कर पातीं क्योंकि आपने अपने अंदर एक झूठी दुनिया बना रखी है।

जब आप आंखें बंद करते हैं, तो बाहरी दुनिया दूर चली जाती है, लेकिन आपके पास अपनी झूठी दुनिया भी है, जो चलती रहती है। आपके पास, अंदर झूठी दुनिया न हो, अगर आप सिर्फ  इसी दुनिया में जीते हों तो अपनी आंखें बंद करने पर यह तुरंत चली जाएगी। मैं एक स्थान पर पांच, छह दिन बैठूं तो मुझे एक भी विचार नहीं आएगा, सपने तो भूल ही जाइए, विचार भी नहीं, क्योंकि मेरा सिर एकदम खाली है। इसीलिए यह एकदम हल्का है, बहुत ही हल्का।
 



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