आध्यात्मिक मार्ग

Last Updated 16 Dec 2020 01:21:13 AM IST

जितने ज्यादा आप आध्यात्मिक मार्ग पर जा रहे हैं, उतने ही ज्यादा आप उलझन में हैं। यह एक अच्छा संकेत है, क्योंकि मूर्खतापूर्ण निष्कर्षों में रहने से यह बेहतर है कि आप उलझन की अवस्था में रहें।


जग्गी वासुदेव

आपने अपने जीवन में जो मूर्खतापूर्ण निष्कर्ष निकाल कर रखे थे, उनमें आराम था, दिलासा था और सुविधा भी थी। उनमें, सुरक्षा की एक झूठी भावना थी। पर जब आप आध्यात्मिक मार्ग पर चल पड़ते हैं, सब कुछ अशांत हो जाता है। जिन चीजों के साथ आप आराम में थे, वे अब बेवकूफी भरी लगती हैं। जिन चीजों को आपने इतना महत्व दिया, इतना चाहा, वे अचानक ही इतनी महत्वहीन और बेकार लगने लगती हैं। अब, सब कुछ उल्टा-पुल्टा हो गया है। अज्ञान से आत्मज्ञान तक का रास्ता एक पूरा चक्र है, जिस पर चल कर आप फिर से उसी स्थान पर आ जाते हैं, पर एक बहुत बड़े फर्क के साथ! जब आप आध्यात्मिक मार्ग पर आते हैं, तो सब कुछ गड़बड़ हो जाता है, हर चीज पर सवाल उठता है। आप ये नहीं जानते कि आप कहां खड़े हैं। आध्यात्मिकता के बारे में कुछ भी जानने से पहले आप कम से कम आराम में थे।

अपने आप में संतुष्ट थे। अब किसी चीज से कोई फर्क नहीं पड़ता। आपको खाने, सोने या कुछ भी करने की इच्छा नहीं होती, क्योंकि कोई भी चीज अब किसी मतलब की नहीं लगती। सही बात तो यह है कि कभी भी इसका कोई मतलब नहीं था। पर आप बस अपने आपको धोखा देकर सोचते थे कि यही सब कुछ था। अगर आज आप उलझन में हैं, तो मतलब यही है कि पहले आप कुछ नहीं जानते थे। बस, अपने आराम और अपनी सुरक्षा के लिए आपने गलत निष्कर्ष निकाल कर रखे थे।

अगर आपको आराम ही चाहिए तो अपने आपको मानसिक रूप से ये मानने को तैयार कर लेना चाहिए कि आप शत-प्रतिशत सही हैं, ये कि आपके जीवन के साथ सब कुछ सही चल रहा है। इसमें कुछ गलत नहीं है। बात बस यह है कि यह सब सीमित है और ये जीवन कभी भी, किसी भी ऐसी चीज के साथ हमेशा नहीं रह सकता, जो सीमित हो। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि कितने तरीकों से आप अपने आपको बेवकूफ बनाने की कोशिश करते हैं, आप में, कहीं न कहीं, असीमित की चाह है। आपको, अपने जीवन में, जितनी भी खुशियां मिली हैं, उन पर सावधानी से ध्यान दीजिए।



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