नींद लेना जरूरी
आप जीवन के साथ लड़ाई मत कीजिए। आपको यह जरूर जानना चाहिए कि जीवन के साथ लय में कैसे रहा जाए। आप एक जीवन हैं, आप जीवन के विरोधी नहीं हैं।
सद्गुरु |
आपको सिर्फ इस जीवन के साथ लयबद्ध होना है। खुद को चुस्त-दुरु स्त और सेहतमंद रखना एक संघर्ष नहीं है। इसके लिए कोई भी ऐसी गतिविधि कीजिए जिसमें आप आनंद ले सकें-आप कोई खेल खेलिए, तैरिए, सैर कीजिए, जो भी अच्छा लगता है वह कीजिए, लेकिन आपको हलवा खाने के अलावा कुछ अच्छा नहीं लगता। तब तो आपको पता ही है कि दिक्कत होगी। नहीं तो किसी काम को सहजता के साथ करने में कोई दिक्कत नहीं है, आप बस रिलैक्स होना सीखिए। तो सवाल है कि मेरे शरीर को आखिर कितनी नींद की जरूरत है? यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी शारीरिक गतिविधि किस तरह की है। आपको अपनी नींद या खाने को तय करने की कोई जरूरत नहीं है।
‘मुझे रोज कितनी कैलोरी खानी चाहिए, मुझे रोज कितना सोना चाहिए?’ जीवन को संभालने का यह मूर्खतापूर्ण तरीका है। आप अपने शरीर को ही तय करने दीजिए कि आज कितना खाना खाना है। आज आपकी गतिविधि का स्तर कम था, इसलिए आपने कम खाया। कल आपके कामकाज का स्तर बहुत ऊंचा होता है तो आप ज्यादा खाएंगे। यही बात नींद पर भी लागू होती है। अगर आप खूब सहज व आरामदेह स्थिति में रहते हैं, तो आप जगे हुए रहेंगे। आपके शरीर को किसी अलार्म से जागने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। एक बार शरीर जब पूरी तरह से रिलैक्स हो जाए तो फिर यह अपने आप जग जाएगा। अगर जीवन जीने की ललक है तो आपके सिस्टम को ऐसा ही होना चाहिए।
और अगर यह बिस्तर को एक कब्र के रूप में देख रहा है तो यह उससे बाहर नहीं आना चाहेगा। अगर आपको इस मौत से बाहर निकालने के लिए किसी की जरूरत पड़ती है तो यह खुद में एक समस्या है। आपको अपने शरीर और मन को ऐसा रखना चाहिए, जिससे इनमें हमेशा जीने की चाहत बनी रहे, उनमें जिंदगी से भागने की चाहत नहीं होनी चाहिए। यह सब कुछ इस पर निर्भर करता है कि आप जीवन को किस तरह से ले रहे हैं। अगर आप एक खास तरह की मानसिक स्थिति में हैं, जहां आप जीवन से बचना चाहते हैं, तो नींद अच्छा जरिया बन जाती है।
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