भक्ति

Last Updated 09 Oct 2020 02:48:38 AM IST

भारतीय संस्कृति में यह बिल्कुल भी जरूरी नहीं है कि आप किसी मंदिर में जाएं। हर कोई, वो चाहे जहां हो, एक पल में, किसी भी चीज को भगवान बना सकता है।


जग्गी वासुदेव

यह एक अद्भुत तकनीक है, निर्माण करने की एक जबरदस्त कुशलता है। किसी पत्थर के टुकड़े को भी भगवान बनाया जा सकता है और आप देखेंगे कि कल सुबह हजारों लोग उसकी पूजा कर रहे होंगे। एक पत्थर के टुकड़े के सामने भी झुक जाने की इनकी इच्छा गजब की है। किसी के सामने झुक जाने के लिए  तैयार रहना इनके लिए इतना आसान है, पर साथ ही यह एक शक्तिशाली साधन रहा है। कोई पेड़, फूल, पत्थर, लकड़ी-कोई फर्क नहीं पड़ता कि वो क्या है-लोग उसके आगे परम श्रद्धा से झुकने के लिए तैयार रहते हैं।

इस सरल सी तैयारी ने भारत में भौतिकता के पार जाने वाले सबसे ज्यादा लोग तैयार किए। यही कारण है कि इस जमीन और इस संस्कृति को अनगिनत आत्मज्ञानी मिले। सारी दुनिया में, कहीं भी, अगर लोगों को झुकना है तो उनके आगे एक खास तरह का आकार होना चाहिए, नहीं तो वे नहीं झुक सकते। पर अगर आप एक पत्थर या छड़ी, एक कीड़े या चिड़िया के सामने झुकने को तैयार हैं तो उनमें से कोई भी आपके लिए एक रास्ता बन सकता है, और आपके लिए कोई दरवाजा खोल सकता है-फिर आपके लिए संभावनाओं का कोई अंत नहीं है। इस रु झान की वजह से लोगों ने हर कहीं करोड़ों संभावनाएं खोल दीं। भक्ति का मतलब है एक खास निष्ठा-यानी आपका पूरा ध्यान हमेशा एक ही चीज में है।

अगर आप लगातार एक ही चीज पर पूरा ध्यान दे रहे हैं तो आप ऐसे हो जाते हैं कि आपके विचार, आपकी भावनाएं और सब कुछ बस उस एक ही दिशा में लग जाते हैं, और तब ‘कृपा’ स्वाभाविक रूप से होगी क्योंकि आप ग्रहणशील बन जाते हैं। आप किस चीज या किस व्यक्ति के भक्त हैं, यह कोई मुद्दा नहीं है। अगर आप यह सोचते हैं, ‘नहीं! मैं एक भक्त होना चाहता हूं, पर मुझे शंका है कि भगवान हैं या नहीं’-तो यह एक सोचने वाले मन की दशा है। आपको यह जानना जरूरी है कि भगवान नहीं हैं, पर जहां कोई भक्त है, वहां भगवान हैं। भक्ति की शक्ति ऐसी है कि वो सृष्टिकर्ता को भी बना सकती है। हम जिसे भक्ति कहते हैं, उसकी गहराई ऐसी है कि चाहे भगवान का अस्तित्व न हो, तो भी भक्ति भगवान का अस्तित्व बना सकती है।



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